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राजस्थान विस चुनाव: ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ाव उम्मीदवारों का भाग्य तय करेगा

सुदूर बरमंडल गांव में अपने खेत की जुताई कर रहे 55 वर्षीय कैलाश कहते हैं कि वह किसानों के लिए कांग्रेस के...
राजस्थान विस चुनाव: ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ाव उम्मीदवारों का भाग्य तय करेगा

सुदूर बरमंडल गांव में अपने खेत की जुताई कर रहे 55 वर्षीय कैलाश कहते हैं कि वह किसानों के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की कल्याणकारी पहलों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में उसे ही वोट देंगे। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो जनता के लिए आसानी से उपलब्ध रहे। वोट डालने से पहले मैं उम्मीदवार में यही पहली चीज देखता हूं।’’

कैलाश कहते हैं कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने महिलाओं को मोबाइल फोन दिए लेकिन वे अब तक सभी को नहीं मिले हैं और जिन्हें नहीं मिले उनमें निराशा है। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी योजना से लोगों को फायदा हुआ है। चिरंजीवी योजना से हर परिवार को 25 लाख रुपये तक स्वास्थ्य बीमा मिलता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस क्षेत्र के लोगों के लिए निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराना मुश्किल है। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र में कांग्रेस सरकार का काम सराहनीय है।’’

बरमंडल गांव प्रतापगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां ऐसी सोच रखने वाले कैलाश अकेले नहीं हैं। पीटीआई-भाषा ने जिन अन्य लोगों से बात की, उन्होंने भी इस बात पर जोर दिया कि मतदाताओं के साथ उम्मीदवारों का जुड़ाव तय करेगा कि उनका वोट किसे मिलेगा। एक अन्य किसान बनवारी शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के चेहरे से ज्यादा स्थानीय उम्मीदवार का चेहरा मायने रखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) में काम चाहते हैं और जरूरत के समय स्थानीय विधायक को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। यहां आय के स्रोत सीमित हैं। पुरुष आजीविका कमाने के लिए गुजरात और मध्य प्रदेश जाते हैं जबकि महिलाएं खेतों में काम करती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संसाधन सीमित हैं और अगर विधायक आम जनता के लिए आसानी से उपलब्ध रहता है, तो लोगों का काम आसानी से हो जाता है। इसलिए, वे ऐसे व्यक्ति को अपना विधायक बनाना चाहते हैं जो आसानी से जनता के लिए उपलब्ध हो।’’ शर्मा ने कहा कि यहां के लोगों की जरूरतें सीमित हैं लेकिन वे चाहते हैं कि सड़कों की मरम्मत और सरकार से संबंधित अन्य जरूरी काम आसानी से हो जाएं।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रामलाल मीणा ने प्रतापगढ़ सीट जीती। उन्होंने छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री नंदलाल के बेटे हेमंत मीणा को हराया था। इससे पहले लंबे समय तक यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गढ़ मानी जाती रही। नंदलाल ने 1980 में और फिर 1993 से 2018 तक लगातार इस सीट से जीत हासिल की। इस सीट से इस बार भी रामलाल मीणा और हेमंत मीणा एक दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। कांग्रेस के रामलाल मीणा को विश्वास है कि वह फिर जीतेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में प्रतापगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बहुत सारे काम किए गए हैं, जिनमें कॉलेज, राज्य राजमार्ग, नयी पंचायत और एसडीएम कार्यालय शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल इलाकों में ‘अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना’ काफी लोकप्रिय रही है। रामलाल ने कहा, ‘‘आसमान छूती महंगाई ने गरीबों पर भारी बोझ डाल दिया है। यहां के लोगों के पास सीमित आय और संसाधन हैं। जब सरकार ने मुफ्त भोजन पैकेट योजना शुरू की, तो लोगों ने इसे बहुत सराहा।’’ वहीं हेमंत मीणा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के उनके प्रतिद्वंद्वी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा,‘‘रामलाल मीणा ने केवल पैसे कमाए हैं और कुछ नहीं किया। मुझे विश्वास है कि लोग इस बार भाजपा को वोट देंगे और कांग्रेस सरकार को हटाएंगे।’’

 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सुरक्षित प्रतापगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2.57 लाख मतदाता हैं। प्रतापगढ़ जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों में से एक प्रतापगढ़ और दूसरा धरियावद है। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 25 नवंबर को होगा और वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।

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