अपने अजीबोगरीब बयानों के चलते अक्सर विवादों में रहने वाले पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीनबाग प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों पर सवाल किया है और पूछा कि आखिर यहां कोई प्रदर्शनकारी मर क्यों नहीं रहा है? दिलीप घोष ने पूछा कि शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को कुछ क्यों नहीं हो रहा, जबकि वे दिल्ली की भीषण ठंड में खुले में प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं बंगाल में सीएए और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी से घबराए लोग 'खुदकुशी' कर रहे हैं'।
‘लोग क्यों बीमार नहीं पड़ रहे या मर नहीं रहे’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिलीप घोष ने इस बात पर हैरानी जताई कि महिलाओं और बच्चों समेत प्रदर्शन में शामिल लोग क्यों बीमार नहीं पड़ रहे या मर क्यों नहीं रहे हैं जबकि वे हफ्तों से खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा सांसद ने यह भी जानना चाहा कि आखिरकार इस प्रदर्शन के लिए रकम कहां से आ रही है।
एक भी प्रदर्शनकारी की मौत क्यों नहीं हुई?
दीलिप घोष ने कहा, 'हमें पता चला है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाएं और बच्चे दिल्ली की सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। मैं हैरान हूं कि उनमें से कोई बीमार क्यों नहीं हुआ? उन्हें कुछ हुआ क्यों नहीं? एक भी प्रदर्शनकारी की मौत क्यों नहीं हुई?'
महिलाएं बच्चों के साथ 4 से 5 डिग्री तापमान में बैठी हैं, अब कोई नहीं मर रहा
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिलीप घोष ने कहा कि नोटबंदी के दौरान काफी कहा गया कि लोग लाइनों में मर रहे थे। जबकि महिलाएं बच्चों के साथ 4 से 5 डिग्री तापमान में बैठी हैं, अब कोई नहीं मर रहा। क्या उन्होंने अमृत पी लिया है? उन्होंने कहा, 'यह बेहद चौंकाने वाला है। क्या उन्होंने कोई अमृत पी लिया है कि उन्हें कुछ हो नहीं रहा है। लेकिन बंगाल में कुछ लोगों द्वारा घबराहट में खुदकुशी करने का दावा किया जा रहा है।'
पिछले दिनों 'गोली मारने' का बयान देकर विवादों में थे घोष
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सैकड़ों महिलाएं खुले आसमान के नीचे सड़क पर प्रदर्शन कर रही हैं। यहां एक महीने से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन चल रहा है। वहीं, घोष इससे पहले प्रदर्शनकारियों को 'गोली मारने' का बयान देकर विवादों में थे। उन्होंने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में कुत्तों की तरह गोली मारी गई।