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केजरीवाल को निरंकारी समागम में जाना पड़ सकता है मंहगा

पंजाब में चुनावी माहौल के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में होने वाले निरंकारी संत समागम में जाना मंहगा पड़ सकता है। पंजाब में चुनावी गहमागहमी शुरू हो चुकी है। मुक्तसर में होने वाले माघी मेले में आम आदमी पार्टी भी चुनाव का बिगुल फूंक रही है। गौरतलब है कि इस मेले में हर राजनीतिक दल अपना-अपना पंडाल लगा शक्ति प्रदर्शन करता है। एक ओर केजरीवाल दिल्ली में सिख दंगा पीड़ितों को चैक बांट रहे हैं दूसरी ओर सिखों के धुर विरोधी निरंकारी समागम में अपनी हाजिरी लगा रहे हैं।
केजरीवाल को निरंकारी समागम में जाना पड़ सकता है मंहगा

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) इसे मुद्दा बना रही है। इस संदर्भ में डीएसजीपीसी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने केजरीवाल को सिख विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अकाल तख्त साहब से निष्कासित किए जा चुके सदस्यों का भी साथ दे रहे हैं।

 

गौरतलब है कि बीती 27 नवंबर 2015 को दिल्ली के बुराड़ी में निरंकारी सम्मेलन में केजरीवाल अपने सभी साथी विधायकों और मंत्रियों के साथ न केवल गए थे बल्कि उन्होंने वहां भाषण भी दिया। गौरतलब है कि पंजाब में सिखों और निरंकारियों के बीच का वर्षों पुराना विवाद जगजाहिर है। गौरतलब है कि इस विवाद के चलते अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह ने 1978 में गद्दी पर बैठे निरंकारी बाबा गुरुबचन सिंह को अमृतसर में गोली मार दी थी। इससे विवाद और बढ़ा। तेरह अप्रैल 1978 को बैसाखी वाले दिन अकाल तख्त साहब के आदेश पर हर सिख को निरंकारियों से रोटी-बेटी का रिश्ता कायम न रखने के
आदेश दिए गए थे।

 

जीके ने केजरीवाल के भाषण के अंशों का जिक्र करते हुए सवाल किया कि केजरीवाल अगर निरंकारी बाबा को अपना गुरू मानते हैं तो वह सिखों के हितैषी कैसे हो सकते हैं ? इसी प्रकार अकाल तख्त साहब द्वारा सिख कौम से निष्कासित किए जा चुके रागी दर्शन सिंह के साथ केजरीवाल की तस्वीर जारी करते हुए जीके ने सिख विरोधी ताकतों को केजरीवाल द्वारा पनाह देने का भी आरोप लगाया।  

 

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