सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल ने प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों पर यह कहते हुए भी तंज कसा कि वे दूसरे देशों की यात्रा करके निवेश लाने में तो सफल हो सकते हैं लेकिन देश के भीतर मौजूद दुश्मनों से लड़ने के लिए साहस कहां से आएगा? शिवसेना ने यह भी कहा कि सरकार को साहस दिखाना चाहिए और समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए और अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू करवाना चाहिए।
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, ब्रितानी सरकार यदि यह सोचती है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी अपने विचारों को भरने के लिए अनपढ़ मुस्लिम महिलाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं...तो वह गलत नहीं सोचती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रितानी सरकार से सीख लेनी चाहिए। अगर सरकार ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की तरह साहस दिखाए तो भारत को लाभ हो जाएगा। मदरसों में उर्दू और अरबी में कराई जाने वाली पढ़ाई को बंद करके उसकी जगह अंग्रेजी और हिंदी में पढ़ाई होनी चाहिए।
ब्रिटेन की सरकार ने ब्रिटेन में जीवनसाथी वीजा पर रह रहे प्रवासियों को हाल ही में चेतावनी दी है कि यदि वे अंग्रेजी बोलने में विफल रहती हैं तो उन्हें देश लौटना पड़ सकता है। ब्रितानी सरकार ने प्रवासी मुस्लिम महिलाओं के भाषाई कौशल को सुधारने के लिए दो करोड़ पाउंड के नए कोष की भी घोषणा की है।
शिवसेना ने कहा, सिर्फ हमारे प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि अन्य मंत्री और नेता भी विदेशी दौरों पर जाते रहते हैं और उद्योगों, व्यापार, कौशल, संस्कृति को भारत में लेकर आने की बात करते रहते हैं। हम निश्चित तौर पर इसमें सफल होंगे लेकिन देश के भीतर मौजूद दुश्मनों से लड़ने के लिए हम साहस कहां से लेकर आएंगे?
कैमरन ने कल मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के विलगाव को रोकने के लिए अंग्रेजी भाषा से जुड़ी नई अनिवार्यताओं को सख्ती से लागू करने की योजनाएं उजागर की थीं। नए नियमों का अर्थ होगा कि बेहद कम या बिल्कुल अंग्रेजी न जानने वाली जो प्रवासी महिलाएं इस साल अक्टूबर से ब्रिटेन में पांच साल के जीवनसाथी वीजा पर आएंगी, उन्हें ढाई साल बाद एक परीक्षा देनी होगी। इस परीक्षा के जरिये उन्हें यह दिखाना होगा कि उनकी ओर से अंग्रेजी सुधारने के लिए प्रयास किया जा रहा है।