एक तरफ जहां चुनावी माहौल एकदम गर्म है, वहीं पंजाब में भाजपा के सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका देते हुए सांसद शेर सिंह घुबाया ने मंगलवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। नई दिल्ली पहुंचे घुबाया ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
सोमवार को फिरोजपुर लोकसभा हलके के सांसद शेर सिंह घुबाया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल वह एक सेक्स टेप के वायरल होने के चलते दो महीने पहले ही विवादों में आए थे। इसी के चलते उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
घुबाया ने पार्टी से दिया इस्तीफा
लंबे समय तक निलंबित रहने वाले अकाली नेता व फिरोजपुर के सांसद शेर सिंह घुबाया ने आखिरकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से सोमवार को इस्तीफा दे ही दिया। घुबाया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। अब घुबाया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
तीन बार विधायक रह चुके हैं घुबाया
शेर सिंह घुबाया फिरोजपुर जिले की जलालाबाद विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। तीसरी बार 2009 में उन्होंने सुखबीर बादल के लिए जलालाबाद से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था और बाद में फिरोजपुर से संसदीय चुनाव लड़ा था। अब वह लगातार 10 साल से सांसद हैं। सुखबीर के बेहद करीबी माने जाते शेर सिंह का पिछले करीब 2 साल से सुखबीर के साथ मनमुटाव चल रहा है। इसी के चलते वह पहले से ही पार्टी को छोड़ने का मन बना चुके थे और 2017 में उन्होंने अपने पुत्र दविंदर घुबाया को कांग्रेस टिकट दिलाई और विधानसभा पहुंचाया था।
एक टेप वायरल हो जाने के चलते विवादों में रहे थे घुबाया
दूसरी ओर हाल ही में जनवरी 2019 की बात है, जब घुबाया एक सेक्स टेप वायरल हो जाने के चलते विवादों में आ गए थे। करीब साढ़े 4 मिनट के इस वीडियो में घुबाया कथित तौर पर एक महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में बताए जा रहे थे। हालांकि इस विवाद के बाद घुबाया ने इसे पार्टी के प्रधान सुखबीर बादल की चाल बताया था।
पार्टी उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाती: घुबाया
सीडी प्रकरण की केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाए जाने की मांग करते हुए भी उस वक्त घुबाया ने कार्यकाल खत्म होने तक पार्टी के साथ बने रहने की बात भी कही थी। घुबाया ने यह भी कहा कि 2 साल से उनकी सुखबीर के साथ न तो कोई मीटिंग हुई है न ही बातचीत। न ही पार्टी उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाती है। यहां तक कि प्रधानमंत्री की मलोट रैली में भी उन्हें न्यौता नहीं दिया गया था। जब इतनी नाराजगी थी तो उन्हें पार्टी से सस्पेंड क्यों नहीं किया जा रहा? इसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
7 मार्च की मोगा रैली में हो सकते हैं कांग्रेसी: घुबाया के कांग्रेस की तरफ झुकाव और चुनाव से ठीक पहले इस्तीफे की बात इस ओर इशारा कर रही हैं कि वह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि 7 मार्च को मोगा में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रधान राहुल गांधी की रैली में घुबाया के संबंध में कोई बड़ा ऐलान हो सकता है।