नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ''मायावती ने मुझसे पूछा कि मुसलमानों ने बसपा को वोट क्यों नहीं दिया। इसके लिए उन्होंने मुसलमानों को गद्दार तक कहा। मायावती ने कहा कि दाढ़ी वाले मुसलमानों ने हमें वोट नहीं किया।''
नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि हार के बाद मुझे मायावती ने बुलाया। मेरे बेटे पर आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा, “मैंने मायावती से कहा कि जिन कांशीराम ने आपको राजनीति सिखाई, आप अपने को उनसे बड़ा मानने लगीं। इस पर वो नाराज हो गईं। कहा कि मैं आपके खिलाफ कार्रवाई करूंगी तो मैंने कहा, कर दीजिए।”
मायावती ने मुझसे पैसे की मांग की: सिद्दीकी
सिद्दीकी ने आरोप लगाया, "मायावती ने मुझसे 50 करोड़ रुपये की मांग की थी। इस पर मैंने कहा कि अगर मैं अपनी प्रोपर्टी बेच भी दूंगा तो 50 करोड़ का चौथाई भी हो जाए तो बड़ी बात है। लेकिन पार्टी हित के लिए मैं ये भी तैयार हूं। इसके बाद मैं अपने दोस्तो-रिश्तेदारों से कहा कि कुछ करें। पार्टी के लोगों से कहा कि मेरी प्रोपर्टी बिकवा दो। जब थोड़ा पैसा इकट्ठा हो गया तो मैंने बहनजी को कहा कि पैसा इकट्ठा हो गया है।"
सतीश चंद्र मिश्रा एंड कंपनी पार्टी को खत्म कर रही
सिद्दीकी ने बसपा के बड़े नेता सतीश चन्द्र पर पार्टी तबाह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीएसपी जानबूझकर तबाह की जा रहा है। सतीश चंद्र मिश्रा एंड कंपनी पार्टी को खत्म कर रही है।
सिद्दीकी ने कहा, “सतीश मिश्रा 2003 से पार्टी में हैं, मैं 1983 से हूं। मिश्रा जी ने आरोप लगाया कि मेरे अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं। कोई एक बता दो। उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 के चुनाव में मैंने कुछ लोगों से रुपए ले लिए कि हमारी सरकार बनने वाली है। मैं सरकार बनने के बाद उनके काम करूंगा। किसी एक उद्योगपति का नाम सामने लाओ।”
अपनी बेटी का मरा मुंह भी नहीं देख सका
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 1996 के उत्तर प्रदेश विधानसभा का जिक्र करते हुए कहा, ''इस चुनाव में मायावती बदायूं के बिल्सी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही थीं। उस समय मायावती ने मुझे अपना चुनाव इंचार्ज बनाया था। उस समय मेरी सबसे बड़ी बेटी की तबियत खराब चल रही थी। पत्नी ने फोन पर रो-रोकर कहा कि लौट आइए, बेटी आखिरी सांसें ले रही है।'जब इस बारे में मैंने मायावती से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि चुनाव फंसा हुआ है। तुम ही मेरे इलेक्शन एजेंट और इलेक्शन इंचार्ज हो। तुम्हारे जाने का मतलब चुनाव हारना है। मायावती ने उस समय स्वार्थवश मुझे जाने नहीं दिया और इलाज के अभाव में मेरी बेटी की मौत हो गई। यही नहीं, मायावती ने अंतिम संस्कार में भी नहीं जाने दिया। इस तरह मैं अपनी बेटी का मरा मुंह भी नहीं देख सका।