राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रमुख जयंत पाटिल ने दावा किया कि उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह और एक निर्दलीय उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के नाम में समानता होने के कारण मतदाताओं में भ्रम पैदा हुआ जिसके कारण सतारा लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार की हार हुई।
पाटिल ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि मतों को बांटने के लिए जानबूझकर निर्दलीय उम्मीदवारों को समान नाम वाले चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राकांपा (एसपी) इस मुद्दे पर भारत निर्वाचन आयोग से शिकायत करेगी।
शरद पवार द्वारा स्थापित की गई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो धड़ों में बंट जाने के बाद निर्वाचन आयोग ने राकांपा (एसपी) को 'तुरहा बजाता हुआ आदमी' (एक पारंपरिक तुरही) चुनाव चिन्ह आवंटित किया था।
सतारा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदयनराजे भोंसले ने राकांपा (एसपी) के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे को 32,000 से अधिक मतों से हराया है। सतारा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार संजय गाडे को 37,062 मत मिले थे और उनका चुनाव चिन्ह 'तुतारी' था।
पाटिल ने दावा किया, ''हमारा चुनाव चिन्ह 'तुतारी बजाता हुआ आदमी' था, लेकिन साथ ही तुरही का चुनाव चिन्ह भी निर्दलीय उम्मीदवारों को दिया गया था और सूची में इसे 'तुतारी' कहा गया था। परिणामस्वरूप जिन निर्वाचन क्षेत्रों में राकांपा (एसपी) ने चुनाव लड़ा वहां तुरही के चुनाव चिन्ह वाले उम्मीदवारों को काफी संख्या में मत मिले। ''
जयंत पाटिल ने कहा, ''डिंडोरी में तुरही चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार को एक लाख से अधिक वोट मिले। सतारा में हमारा उम्मीदवार 32,000 वोटों से हार गया और वहीं तुरही चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार को 37,000 से अधिक मत मिले। ''