गौरतलब है कि सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग को बताया कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद पर अभी भी वे विराजमान हैं और उनकी बिना अनुमति के पार्टी का कोई भी फैसला नहीं माना जाएगा। मंगलवार को रामगोपाल यादव पार्टी के अन्य नेताओं के साथ चुनाव आयोग पहुंचे और आयोग को बताया कि 90 प्रतिशत सदस्य हमारे साथ हैं। अभी भी चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को किसी प्रकार का फैसला नहीं सुनाया है।
उधर पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाले दोनों धड़ों के बीच की दरार के भर जाने की संभावना है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कुछ भी हो सकता है। अखिलेश और राम गोपाल यादव द्वारा मुलायम को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने से पहले आजम ने ही इन दोनों के निष्कासन को रद्द करने के लिए मुलायम से कहा था। आजम ने कहा कि वह मैत्री कराने के लिए जो कुछ भी कर सकेंगेे, करेंगे। आजम ने संवाददाताओं से कहा, कुछ भी संभव है। किसने सोचा था कि उनका निष्कासन रद्द कर दिया जाएगा।
मुलायम के करीबी सहयोगी अमर सिंह के कटु आलोचक आजम को पार्टी का मुस्लिम चेहरा माना जाता है। उन्होंने सपा में जारी इस तकरार के दौरान अपनी छवि को तटस्थ बनाकर रखा है। आजम ने कहा कि यदि उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों की तिथियों की घोषणा भी हो जाती है तो भी इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके एकजुट होने के सभी द्वार बंद हो गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव ने सुलह के संकेत दिए हैं लेकिन असली फैसला अब मुलायम सिंह यादव को करना है।