उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को छह मई तक के लिए स्थगित कर दी।
निदेशालय की ओर से पेश एक वकील ने इस आधार पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम ने पीठ से मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया और दलील दी कि उनके मुवक्किल 320 दिन से जेल में हैं। पीठ ने कहा कि उसने मामले में निदेशालय का जवाब पढ़ा नहीं है और उसने सुनवाई के लिए छह मई की तारीख तय की। न्यायालय ने बालाजी की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से एक अप्रैल को जवाब मांगा था।
इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है तो इससे गलत संदेश जाएगा और यह वृहद जनहित के खिलाफ होगा।
उसने कहा था कि चूंकि याचिकाकर्ता (आरोपी) लगभग आठ महीने से हिरासत में है इसलिए धन शोधन मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को दैनिक आधार पर सुनवाई कर इसे तीन महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए जाते हैं।
उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि मुकदमे की सुनवाई उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए दिशा निर्देशों के अनुसार नियमित आधार पर की जाए। प्रवर्तन निदेशालय ने ‘नकदी के बदले नौकरी’ घोटाले में 14 जून 2023 को सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था। यह घोटाला पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषमग (अन्नाद्रमुक) सरकार के कार्यकाल का है। उस समय बालाजी परिवहन मंत्री थे।
ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को बालाजी के खिलाफ 3,000 पृष्ठों का आरोप पत्र दाखिल किया था। उच्च न्यायालय ने पहले भी 19 अक्टूबर को बालाजी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। एक स्थानीय अदालत ने भी तीन बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।