तीन दिन पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली के जन्मदिन के मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे मिलने उनके घर गई थीं। तब से प्रदेश की राजनीति में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि ममता ने उन्हें राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है। हालांकि सौरभ ने फिलहाल राजनीति में जाने से मना कर दिया है।
सौरभ ने फिलहाल राजनीति में जाने से किया है मना
तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता इस बात से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि ममता दीदी हमेशा सौरभ को पसंद करती रही हैं। उन्होंने पहले भी उन्हें जन्मदिन की बधाई दी, इस बार घर जाकर बधाई दी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मुख्यमंत्री के उनके घर जाने का राजनीतिक मकसद हो। सौरभ के करीबियों का कहना है कि उन्होंने फिलहाल राजनीति में जाने से मना कर दिया है। लेकिन यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में वे हामी भर सकते हैं।
दादा को भाजपा से दूर रखने की दीदी की कोशिश तो नहीं
कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि सौरभ के घर जाकर ममता ने उन्हें भाजपा से दूर रखने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव से पहले यह चर्चा काफी जोरों पर थी कि सौरभ गांगुली भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। हालांकि अंततः वे बीमार पड़ गए और राजनीति में उनके आने की बात चर्चा तक ही सीमित रह गई।
भाजपा भी दादा के घर दीदी के जाने को राजनीतिक बता रही
तृणमूल सूत्रों का कहना है कि उस समय भाजपा में न जाने के सौरभ के फैसले से ममता बनर्जी खुश हुई थीं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी सौरभ के घर ममता के जाने को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का उनके घर जाना पूरी तरह राजनीतिक है। शहर में और भी विशिष्ट जन हैं, पश्चिम बंगाल में आइकॉन की कमी नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री और किसी के घर जन्मदिन की बधाई देने नहीं गईं।
तृणमूल के पास राज्यसभा की दो सीटें खाली
जहां तक राज्यसभा सीट की बात है तो दिनेश त्रिवेदी और मानस भुइयां की सीटें अभी तृणमूल के लिए खाली हैं। हालांकि पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना है कि इनमें से एक पद पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भेजा जा सकता है। सौरभ गांगुली जब बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे तब भी उनके राजनीति में आने और भाजपा ज्वाइन करने की खबरें चली थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई में सचिव हैं।