उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उन्होंने ‘‘सनातन धर्म को मिटाने’’ संबंधी कथित टिप्पणी को लेकर अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मामले में सुनवाई फरवरी, 2025 तक स्थगित कर दी।
पीठ ने कहा कि राजनेता को निचली अदालतों के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने से छूट देने वाला अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा।
शीर्ष अदालत ने चार मार्च को स्टालिन को उनकी टिप्पणी के लिए फटकार लगाई थी और पूछा था कि उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का दुरुपयोग करने के बाद अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने की याचिका के साथ अदालत का रुख क्यों किया।
तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल मंत्री स्टालिन प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं सत्तारूढ़ द्रमुक मुनेत्र कषगम (डीएमके) प्रमुख एम के स्टालिन के पुत्र हैं।
सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में स्टालिन ने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए।’’
सनातन धर्म की तुलना ‘‘कोरोनावायरस, मलेरिया और डेंगू’’ से करते हुए उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि इसे ‘‘खत्म’’ कर दिया जाना चाहिए।
उनकी टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और कर्नाटक में उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गईं।