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तेजस्वी यादव का आरोप, विजय सिन्हा के पास दो वोटर आईडी; उपमुख्यमंत्री ने किया ये पलटवार

बिहार की सियासत में इन दिनों उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच...
तेजस्वी यादव का आरोप, विजय सिन्हा के पास दो वोटर आईडी; उपमुख्यमंत्री ने किया ये पलटवार

बिहार की सियासत में इन दिनों उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच मतदाता पहचान पत्र को लेकर तकरार चरम पर है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि विजय सिन्हा के पास दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों—लखीसराय और बांकीपुर—में दो EPIC नंबर दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि यह ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया के बाद सामने आई गड़बड़ी का साफ उदाहरण है और चुनाव आयोग को इसकी तत्काल जांच करनी चाहिए। तेजस्वी के मुताबिक, दोनों पहचान पत्रों में उम्र भी अलग-अलग है—एक में 57 वर्ष और दूसरे में 60 वर्ष। इसे उन्होंने चुनावी नियमों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए सवाल उठाया कि क्या आयोग इस मामले पर कार्रवाई करेगा या इसे नजरअंदाज कर देगा।

विजय सिन्हा ने इस आरोप का सख्त खंडन किया। उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि वे केवल एक ही जगह वोट करते हैं और किसी तरह का दोहरा मतदान नहीं करते। उनके मुताबिक, पहले उनका नाम बांकीपुर विधानसभा की मतदाता सूची में था, लेकिन अप्रैल 2024 में उन्होंने लखीसराय में नाम जुड़वाने और बांकीपुर से नाम हटवाने के लिए आवेदन दिया था। तकनीकी खामी के चलते उनका नाम दोनों सूचियों में दर्ज रह गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने बूथ लेवल ऑफिसर को लिखित आवेदन दिया था, जिसका प्राप्ति-पत्र उनके पास मौजूद है।

सिन्हा ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए उन्हें “जंगल राज का राजकुमार” करार दिया और आरोप लगाया कि विपक्ष बेवजह राजनीतिक लाभ के लिए भ्रम फैला रहा है। उन्होंने तेजस्वी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग भी की। उधर, तेजस्वी अपने आरोप पर कायम हैं और इसे चुनाव आयोग की अनदेखी तथा व्यवस्था की खामी बता रहे हैं।

यह विवाद सिर्फ व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बिहार में SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि अगर राज्य के उपमुख्यमंत्री के नाम पर ऐसी गड़बड़ी हो सकती है, तो आम मतदाताओं के मामलों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। सत्ता पक्ष का दावा है कि यह महज एक तकनीकी त्रुटि है जिसे सुधारने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

दोनों पक्षों की बयानबाजी से स्पष्ट है कि यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है और आगामी चुनावी माहौल में इसे विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करेंगे।

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