पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुका है। इसमें मुख्यरूप से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आमने-सामने है। भाजपा इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे रही है। स्पष्ट है कि ममता बनर्जी की राह इस बार इतनी आसान नहीं है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने निभाई है। भाजपा को आरएसएस ने ग्रामीण स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने उस तपके को साधने की कोशिश की है जिसे नजर अंदाज किया जाता रहा है। इन समुदायों के स्थानीय नेताओं से आरएसएस ने तालमेल बिठाकर अच्छी राजनीतिक पिच भाजपा के लिए तैयार कर दी है।
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स्थानीय पत्रकार अनवर हुसैन के अनुसार, सच है कि भाजपा ने काफी माहौल बनाया है, लेकिन सवाल है कि यह वोट में कितना तब्दील होगा। अभी तक पार्टी की रणनीति मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टार्गेट करने की रही है। तृणमूल नेताओं पर कट मनी/ कमीशन लेने के तो आरोप हैं, ममता की व्यक्तिगत छवि साफ-सुथरी है। आउटलुक से वे कहते हैं, “उनके नाम पर जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया, जिन पर गंभीर आरोप थे उनमें अनेक तो भाजपा में चले गए। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार भी बनाया है।” अनवर के अनुसार जो नेता तृणमूल से भाजपा में गए हैं, उनमें अनेक महारथी हैं। उन पर किसी का वश नहीं चलता। वे जहां भी रहेंगे वही करेंगे।"