सरकारी अधिकारियों की राजनीतिक प्रतिबद्धता वर्षों से विवाद का मुद्दा रही है। कांग्रेस, कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, संघ की विचारधाराओं वाली सरकारें रहने पर यह सवाल उठता रहा है कि नौकरीशाही किसी दल, व्यक्ति या विचार से प्रतिबद्ध रहने के बजाय लोकसेवक के रूप में नियम-कानून के अनुसार सरकार-संगठन द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों और आदेशों का क्रियान्वयन करे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहले तो केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में अपने लोगों को जगह दिलवाई और उसके बाद विभागों के बंटवारे में भी उसी की चली। जिन मंत्रियों से आरएसएस को परेशानी थी उनके विभाग बदल दिए गए हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सोमवार को सीबीआर्इ ने गिरफ्तार कर लिया है। राजेंद्र कुमार पर बिना नीलामी के 50 करोड़ के ठेके देने का आरोप था।
जेएनयू छात्रासंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने पटना आर्ट्स कॉलेज में जारी छात्रों के आंदोलन को समाप्त कराए जाने और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा तिथि में बदलाव की अपील बिहार सरकार से करते हुए रविवार को कहा कि छात्रों को पढ़ने दिया जाए, उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए विवश न किया जाए।
केंद्र की भाजपा सरकार और पार्टी में तालमेल की कमी की वजह से विरोधाभासी संदेश देश-दुनिया में जा रहे हैं। संघ नेता इंद्रेश कुमार का पाकिस्तान पर बयान सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठा रहे हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीन के कथित घोटाले की जांच कर रहे जस्टिस (रि.) एस.एन. ढींगरा को लाभ पहुंचाया है। ऐसे में ढींगरा आयोग द्वारा की गई जांच का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि ढींगरा से निष्पक्ष रिपोर्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती।