नवें दशक से मराठा सरदार के नाम से चर्चित एवं वरिष्ठ राजनीतिक शरद पवार के जीवन पर आधारित उनकी जीवनी ‘स्वयंसिद्धः शरद पवार का जीवन और समय’ का लोकार्पण वरिष्ठ हिन्दी कवि केदारनाथ सिंह एवं पूर्व योजना आयोग सदस्य डॉ. सैयदा हमीद द्वारा कल शाम दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 में किया गया, जिसमें एनसीपी महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता देवी प्रसाद त्रिपाठी (जीवनी लेखक), पवार की पुत्री सुप्रिया सुले, साहित्यकार अशोक वाजपेयी, हर्षवर्धन नेवटिया, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल, जया बच्चन, राजीव शुक्ला समेत प्रकाशन परिवार प्रमुख शिरकत रही|
लंदन की संस्था ‘वातायन’ ने इस बार अपना सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय वातायन शिखर सम्मान पश्चिम बंगाल (भारत) के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को प्रदान किया। त्रिपाठी एक विख्यात लेखक और कवि हैं और अब तक उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली के एक बड़े नेता ने राज्य में पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके के ऊपर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि पीके राज्य में कांग्रेस का जनाजा निकाल देंगे।
युवा अदिति अशोक ने बीते वर्ष भारतीय गोल्फ में नया इतिहास रचा और अन्य पेशेवर खिलाडि़यों ने भी उम्दा प्रदर्शन किया जिससे भारतीय गोल्फ के लिए 2016 प्रभावशाली रहा जबकि इसी वर्ष इस खेल ने एक शताब्दी से अधिक समय बाद ओलंपिक में वापसी की।
आत्मकथाएं वैसे भी अलग से रेखांकित की जाती हैं। ऐसे में यदि कोई आत्मकथा स्त्री द्वारा लिखी गई हो, इसके प्रति उत्सुकता बढ़ना स्वाभाविक है। और यदि यह आत्मकथा अध्यापक, आलोचक निर्मला जैन की हो तो जिज्ञासा कहां तक पहुंचेगी यह नापने का कोई पैमाना नहीं है।
ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।