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Search Result : "अब्दुल्ला हुसैन"

बोले उमर, कभी नहीं जाएंगे भाजपा के साथ

बोले उमर, कभी नहीं जाएंगे भाजपा के साथ

नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि उनकी पार्टी कभी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी और वह राज्य एवं उसके लोगों के सम्मान एवं गरिमा से समझौता करने की बजाए राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने पार्टी में शब्बीर अहमद कुलाय के दोबारा शामिल होने के मौके पर दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, मैं राज्य और उसके लोगों के सम्मान एवं गरिमा से समझौता करने की बजाए राजनीति छोड़ दूंगा।
मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इंतिजार हुसैन ने 2 फरवरी 2016 को इस संसार से विदा ले ली। भारत में पैदा हुए इंतिजार की शिक्षा पहले हापुड़ फिर मेरठ कॉलेज से हुई थी। सन 2012 में सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर पाकिस्तान के नामी अफसानानिगार इंतिजार हुसैन भारत आए थे। विभाजन के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी रूह भारत में ही रहती थी। उनकी कहानियों में अलग तरह का दर्शन था। बस्ती, हिंदुस्तान से आखिरी खत उनकी लोकप्रिय कृतियों में से है। तब उन्होंने आउटलुक से ढेर सी बात की थी। उनके साक्षात्कार में उन्होंन बताया था भारत और भारतीयता की समझ को। उनका भारत में दिया गया अंतिम साक्षात्कार
‘बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम्ही सो गए दास्तां कहते-कहते’

‘बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम्ही सो गए दास्तां कहते-कहते’

यह लगभग चार साल पहले की बात है। भारत में अफसानानिगार सआदत हसन मंटों की 100वीं जन्मशताब्दी मनाई जा रही थी। दिल्ली और पंजाब में कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे थे। इस सिलसिले में एक कार्यक्रम दिल्ली में भी आयोजित हुआ जिसमें मंटो पर बात करने के लिए पाकिस्तान से कई अफसानानिगार और बुद्धिजीवि आए। उसी कार्यक्रम में पाकिस्तान के मशहूर उर्दू कहानिकार और पत्रकार इंतिजार हुसैन भी आए थे। वहीं उनसे पहली मुलाकात रही। हमेशा से इंतिजार हुसैन उतने ही भारतीयों के भी रहे जितने वह पाकिस्तान के थे। वह भी मंटो की बेबाक लेखनी के दीवाने थे। इंतजार साहब का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के दिबाई गांव में हुआ था। मंगलवार को 93 वर्षीय इस लेखक का पाकिस्तान में निधन हो गया। भारत में किस प्रकार सोशल मीडिया पर लोगों ने इंतिजार साहब को याद किया-
आईएसआईएस के खतरे पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मिले राजनाथ

आईएसआईएस के खतरे पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मिले राजनाथ

आईएसआईएस की ओर से भारतीय नौजवानों को कथित तौर पर आकर्षित करने के प्रयासों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं से मुलाकात की और आतंकी समूह के मंसूबों को नाकाम करने में उनका सहयोग मांगा।
पाक हमला: आतंकियों से हीरो की तरह लड़ शहीद हुआ प्रोफेसर

पाक हमला: आतंकियों से हीरो की तरह लड़ शहीद हुआ प्रोफेसर

पाकिस्तान के बाचा खान यूनिवर्सिटी पर बुधवार की सुबह हुए आतंकी हमले में छात्रों की हिफाजत करने के लिए विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने कफी देर तक आतंकियों का मुकाबला किया। यूनिवर्सिटी में रसायनशास्त्र के असिस्टेंट प्रफेसर सैयद हामिद हुसैन ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से काफी देर तक आतंकियों काे चुनौती दी और अपने छात्रों की जान बचाते हुए आखिर में शहीद हो गए। आतंकी हमले में बचे छात्रों ने अपने इस प्रोफेसर के कारनामे के बारे में जानकारी दी है।
अगर महबूबा सीएम नहीं बनना चाहतीं तो चुनाव कराएं: उमर

अगर महबूबा सीएम नहीं बनना चाहतीं तो चुनाव कराएं: उमर

जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से कहा है कि वह देर नहीं करें और अगर मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी लेने में अक्षम हैं या अनिच्छुक हैं तो उन्हें राज्य में फिर से चुनाव कराने के लिए सिफारिश करनी चाहिए। गौरतलब है कि पीडीपी और भाजपा में सरकार के गठन को लेकर जारी गतिरोध को 12 दिन हो गए हैं।
वापसी के लिए कोई कश्मीरी पंडितों के हाथपांव नहीं जोड़ेगा: फारूक अब्दुल्ला

वापसी के लिए कोई कश्मीरी पंडितों के हाथपांव नहीं जोड़ेगा: फारूक अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 26 वर्ष पहले घर छोड़ने के लिए मजबूर कश्मीरी पंडितों के अपने घरों को वापस नहीं लौटने का दोष आज कश्मीरी पंडितों के सिर पर ही मढ़ दिया।
मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।
उत्तर कोरिया ने कहा, सद्दाम-गद्दाफी का हश्र नहीं चाहते

उत्तर कोरिया ने कहा, सद्दाम-गद्दाफी का हश्र नहीं चाहते

पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइल के परीक्षण का टीवी फुटेज दिखाते हुए और अपने ताजा परमाणु परीक्षण का बचाव करते हुए उत्तर कोरिया ने पश्चिम एशिया के दो देशों में सत्ता से हटाए गए दो नेताओं का हवाला दिया है।
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