पूर्व क्रिकेटर शिवलाल यादव को श्रीनिवासन का समर्थन प्राप्त है और अगर चुनाव नहीं होते हैं तो पूर्वी क्षेत्र की इकाइयां भी उन्हें अध्यक्ष बनाने पर हामी भर सकती हैं।
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ पर ब्रेक लग जाएगा। अगर एग्जिट पोल पर भरोसा करें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है।
प्रतिक्रिया लेने के लिए पत्रकार उनके पास पहुंचे तो साक्षी ने पत्रकारों को ही धमका डाला और उन्हें सुधर जाने की धमकी दी। साक्षी महाराज ने मीडिया वालों से पीछा छुड़ाने के लिए पुलिस को बुला लिया। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर साक्षी महाराज ने रिपोर्टरों से कहा कि कारण बताओ नोटिस की उन्हें कोई जानकारी नहीं है
बीते बारह सालों में भारतीय राजनीति में बड़ा उतार-चढ़ाव रहा है। साल 2002 की अगर बात करें तो केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?