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सोलर अलायंस समिट में पीएम मोदी बोले, ‘वेदों ने पहले ही सूर्य को विश्व की आत्मा माना है’

सोलर अलायंस समिट में पीएम मोदी बोले, ‘वेदों ने पहले ही सूर्य को विश्व की आत्मा माना है’

अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में वेदों ने हजारों साल पहले से...
आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आंगन के पार पूरब में कमरे थे, कमरों के पार दालान। दालान के पार रास्ता था, रास्ते के पार आंवला, कनेर और बेल के पेड़ थे, फिर मेड़ की आड़। आड़ के पार पोखर था जिसके जल में आसमान में उगता गोल और सुर्ख सूरज टलमल करता था। पोखर के पार दादा जी (छोटे बाबा) की कुटी थी जिसमें एक कमरे के ऊपर उजियार कमरा था और नीचे अंधेरा तहखाना। कुटी के पार आमों के बाग थे, बाग के पार दूर तक खेत-सरेह। दूर सरेह के पार बडक़ी नहर की आड़ दिखती थी। लेकिन इस सुदूर विस्तार में हजारों, सैकड़ों या बीसियों तक क्या, इक्का-दुक्का भी समवेत योग नहीं होता था।
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