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Search Result : "आदिवासी बच्चे"

मेरे शौचालय हैं कहां, कोई तो बताए ?

मेरे शौचालय हैं कहां, कोई तो बताए ?

देश भर में जोर-शोर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के बीच मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बाढ़ गांव के 45 परिवार सरकार से पूछ रहे हैं कि मेरे शौचालय कहां है? निर्मल भारत अभियान के वेबसाइट पर उनके घरों में शौचालय बन चुके हैं, पर वे सभी आज भी खुले में शौच जाने के मजबूर हैं। उनके घरों में शौचालय ही नहीं है। वे अपने गायब शौचालय के लिए लगातार आवेदन दे रहे हैं, पर उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।
24 करोड़ बच्चों के पेट में कीड़ा

24 करोड़ बच्चों के पेट में कीड़ा

भारत के अलग-अलग हिस्सों में आप बच्चों के किसी भी डॉक्टर के पास जाएं, वहां आने वाले मां-बाप की एक आम शिकायत यही होती है कि उनका बच्चा ठीक से खाता-पीता नहीं है, या फिर यह कि खाता तो ठीक से है मगर बच्चे का उस अनुपात में वजन नहीं बढ़ रहा या उसकी लंबाई नहीं बढ़ रही।
बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

धीरे-धीरे आदिवासी भोजन खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है। परंपरागत आदिवासी भोजन न मिलनेकी वजह से 54 फीसदी आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यूनिसेफ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त पड़ताल में सामने आया है कि इसकी मुख्य वजह जंगल संबंधी नई नीतियां हैं, जिनके चलते आदिवासियों को उनके परंपरागत एवं पोषक भोजन से दूर कर दिया गया।
मेरे बच्चे भी पूछ रहे हैं वाई-फाई कब मिलेगा : केजरीवाल

मेरे बच्चे भी पूछ रहे हैं वाई-फाई कब मिलेगा : केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता संभालने के करीब एक हफ्ते बाद शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार आम आदमी पार्टी के चुनावी वायदों के तहत बहुत जल्द बिजली की दरें कम करने जा रही है और मुफ्त पानी योजना शुरू करने वाली है।
बच्चे को दूध नहीं पिलाने पर कार्रवाई

बच्चे को दूध नहीं पिलाने पर कार्रवाई

कामकाजी महिलाओं में सबसे खराब स्थितियां मजदूर वर्ग की महिलाओं की हैं। उनके लिए न तो क्रेच व्यवस्था है और न वे मजदूरी के समय से समय निकाल अपने नवजात बच्चों को दूध पिला सकती हैं। कुपोषण के शिकार इनके बच्चों का सही विकास तक नहीं हो पाता है। बच्चे को दूध न पिला सकने का ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में सामने आया है जिसमें ऐसा होने पर बच्चे की मौत हो गई है।
जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

भारतीय साहित्य में आजकल एक नई धारा चर्चा में है। आदिवासी साहित्य नाम की इस धारा के लेखक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जुटे और उन्होंने आदिवासी जीवन से जुड़े मुद्दों को साहित्य में उठाने की वकालत की।
बच्चों के ल‌िए खतरनाक है स्मार्टफोन

बच्चों के ल‌िए खतरनाक है स्मार्टफोन

बच्चों के विकास में बाधा बन सकता है स्मार्ट फोन। एक नए अनुसंधान से यह पता चला है। यह उन माता-पिता के लिए चेतावनी है जो अपने बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उऩ्हें स्मार्ट फोन थमा देते हैंं।
जनगणना पर राजनीति

जनगणना पर राजनीति

जितने मुंह उतने बच्चेः जनसंख्या के संप्रदाय आधारित आंकड़ों को लेकर माहौल गरमाने की कोशिश, परिवार नियोजन के नीतिगत लष्यों को दी जा रही चुनौती
शिक्षा के सपने का कानूनी ककहरा

शिक्षा के सपने का कानूनी ककहरा

बच्चों को शिक्षा के लिए सदमे और डर से मुक्त माहौल देने के लिए शारीरिक दंड एवं वार्षिक परीक्षा आधारित पास-फेल की प्रणाली खत्म कर दी जा रही है। इसके बदले निरंतर मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है। विधेयक में सभी विद्यालयों के पाठ्याचार को संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप ढालने का प्रावधान किया है। इससे कुछ संस्थाओं, संगठनों के स्कूलों में सांप्रदायिक और इस तरह के अन्य एजेंडे को सीमित करने मे मदद मिलेगी।