पिछले आठ दशक से भी ज्यादा समय में आए सबसे भीषण भूकंप की त्रासदी का सामना कर रहे नेपाल में भारत सहित दुनिया भर से आए राहतकर्मी पीडि़तों तक पहुंचने और उनको मदद पहुंचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
दिल्ली में राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह की आत्महत्या पर आज लोकसभा में खूब हंगामा हुआ। जिसके बाद प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर लोकसभा में बयान देने पड़े। किसान विरोधी होने के आरोप झेल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमें यह सोचना होगा कि हम कहां गलत रहे, कौन-से गलत रास्ते पर चल पड़े। पहले क्या गलतियां रही और पिछले 10 महीने में क्या गलतियां हुई। हमें किसानों की समस्या का समाधान खोजना है। कई वर्षों से किसानों की आत्महत्या पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं। कल की घटना से पूरे देश में पीड़ा है और उसकी अभिव्यक्ति आज सदन में भी हुई। मैं भी इस पीड़ा में सहभागी हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) में 12,000 करोड़ रुपये की विस्तार एवं आधुनिकीकरण परियोजना राष्ट्र को समर्पित की। इस परियोजना के तहत एक नई प्लेट मिल लगाई गई है।
मिस्र, लीबिया, ट्यूनिशिया जैसे देशों में कई दशकों से जमे तानाशाहों को जनता के विद्रोह ने सत्ता से हटने पर मजबूर कर दिया और जनता के बीच संवाद पैदा करने में मुख्य भूमिका फेसबुक और ट्वीटर जैसी वेबसाइटों ने निभाई। सोशल मीडिया ने दुनिया के कई देशों में दशकों से जमी हुई सत्ता को इतनी सुगमता से उखाड़ फेंका है कि इससे डर कर कई देशों ने अपने यहां इंटरनेट पर कड़ी सेंसरशिप लागू कर दी है।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?