दुनिया भर में आर्थिक क्षेत्र में एक बेहतर निवेश संभावनाओं वाले देश के रूप में अपनी पहचान बना चुके भारत के मामले में एक रोचक तथ्य यह भी है कि यहां प्रत्येक 100 मतदाताओं में से केवल सात ही करदाता हैं। इसके आधार पर कहा जा रहा है कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में राजकोषीय लेकतंत्र विकसित नहीं हो सका है।
कांग्रेस ने कहा कि आर्थिक समीक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को दर्शाती है और सरकार इसके समक्ष पेश समस्याओं का फौरी या दीर्घकालिक समाधान खोजने में विफल रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत निम्न मुद्रास्फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्म आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा की कुछ खास बातें इस प्रकार की हैं।
भारत में चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता हमेशा से संदेहास्पद रही है और लगता है कि ये स्थिति इस बार यूपी के चुनाव में भी नहीं बदलने वाली है। यूपी के विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में सिर्फ 11 दिन शेष हैं और इस बीच दो समाचार चैनलों द्वारा अलग-अलग एजेंसी से करवाए गए सर्वे के अनुमान बताते हैं कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी या सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बन सकती है।
एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा में त्रिशंकु विधानसभा का पूर्वानुमान लगाया गया है जबकि उत्तराखंड में भाजपा को स्पष्ट बहुमत बताया गया है।
नोटबंदी को भाजपा नीत केंद्र सरकार का आर्थिक जुआ करार देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने कहा कि उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव के नतीजे इस योजना की सफलता की असली परीक्षा होंगे।
सरकार ने नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था में नरमी आने की चिंताओं को खारिज कर दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर अवधि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर वसूली में अच्छी वृद्धि हुई है। इससे विनिर्माण क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने का संकेत मिलता है।
प्रसिद्ध विकास अर्थशास्त्री ज्यां ड्रेज ने कहा है कि नोटबंदी का वंचित तबके विशेषरूप से दिहाड़ी मजदूरों पर काफी गंभीर असर होगा। यह प्रभाव कहीं अधिक बुरा तथा अनुमान से अधिक समय तक बना रहेगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि नोटबंदी के बाद आर्थिक मंदी के कारण गरीबों को होने वाली अपरिहार्य परेशानियों को दूर करने के लिए अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन से वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यपालों और उपराज्यपालों से कहा कि कालेधन को समाप्त करने और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लागू नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में अस्थायी मंदी आ सकती है।