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Search Result : "आशीष शर्मा"

हिंसा का राजमार्ग

हिंसा का राजमार्ग

नई फिल्म एनएच 10 की हिंसा प्रतिरोध की नहीं प्रतिशोध की हिंसा है। निर्देशक नवदीप सिंह ने मूल कहानी को पृष्ठभूमि में रख कर उस कहानी के बहाने कई बातें साधने की कोशिश की है। यह प्रयोग नया तो नहीं है पर हाल के सिनेमा में सीधी-सीधी बातें कह देने से अलग जरूर है।
मयंक को आप गुट से बेइज्जती का खौफ

मयंक को आप गुट से बेइज्जती का खौफ

आप का एक गुट योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को इतना अपमानित करना चाहता था कि वे पार्टी छोड़कर चले जाएं लेकिन उन्होंने ऐसा न कर उस गुट के इरादों पर पानी फेर दिया। अब वही गुट मुझे भी अपमानित करने पर उतारू है। यह कहना है कि आप नेता मयंक गांधी का। उन्होंने एक और ब्लॉग लिखकर अपनी बात कही है।
निर्भया फिल्म: सीनाजोरी पर उतारू वकील

निर्भया फिल्म: सीनाजोरी पर उतारू वकील

लेस्ली उडविन की फिल्म इंडियाज डॉटर में महिला विरोधी टिप्पणी करने वाला एक वकील सीना जोरी पर उतारू हो गया है। वकील का कहना है कि गलत वह नहीं बल्कि वे लोग हैं जिन्होंने फिल्म पर पाबंदी के बावजूद उसे देखा है। वकील को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने नोटिस भेज कर सफाई मांगी है। लेकिन वकील का कहना है कि उसे अभी कोई नोटिस नहीं मिला है।
'आप’  मत बनो वे

'आप’ मत बनो वे

क्या मनोविज्ञान का पीटर सिद्धांत व्यक्तियों की तरह संगठनों और राजनैतिक दलों पर भी लागू होता है? पीटर सिद्धांत के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी अक्षमता की हद तक ही तरक्की करता है। यानी दक्षता की उस सीमा तक तरक्की जहां से संबद्ध व्यक्ति की अक्षमता का प्रदेश शुरू होता है। अभी तक पीटर सिद्धांत का जिक्र सिर्फ व्यक्ति के संदर्भ में होता था।
मोदी का सूट खरीदने वालों के दामन दागदार

मोदी का सूट खरीदने वालों के दामन दागदार

भारी-भरकम कीमत चुकाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विवादित सूट खरीदने वाले रईसों के दामन दरअसल दागदार ही हैं। जिन लोगों ने मोदी के अन्य सूट खरीदे हैं उनके ठिकानों पर पहले आयकर विभाग और आयात शुल्क अधिकारियों के छापे पड़ चुके हैं।
रजत शर्मा की क़ामयाबी का राज़

रजत शर्मा की क़ामयाबी का राज़

मीडिया, राजनीति और व्यापारियों के बीच का रिश्ता समझना हो तो इंडिया टीवी के मालिक और मुख्य संपादक रजत शर्मा इसके जीता जागता नमूना हैं।
अब क्या होगा कांग्रेस का

अब क्या होगा कांग्रेस का

दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने से राज्य में कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट पैदा गया है। लोकसभा चुनाव के बाद लगातार कमजोर होती जा रही कांग्रेस का दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐसा हस्र होगा इस बात का अहसास कांग्रेस नेताओँ को भी नहीं था।
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