मुंबई के देश प्रसिद्ध डांस बारों का दौर लौटना तय हो गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत गुरुवार को तीन डांस बारों को लाइसेंस जारी कर दिया है। इसके साथ ही मुंबई में डांस बार खुलने का इंतजार कर रहे लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है।
इलाहाबाद विश्वविद्याालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप के चलते नौकरी छोड़ रहे थे और आज बयान से पलटते हुए कहा कि सब कुछ ठीक चल रहा है। यहां तक की केंद्री मानव संसाधन विकास मंत्री की तारीफ भी कर दी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी आज जारी रिपोर्ट में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि दिल्ली के साथ-साथ ग्वालियर, इलाहाबाद, पटना और रायपुर के अलावा दूसरे कई भारतीय शहरों की हवा में प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है और इससे निपटने की तत्काल जरुरत है।
उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को राहत देते हुए उनके पैरोल की अवधि 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी। अदालत के अनुसार अवधि बढ़ाई गई है ताकि राय बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी के पास 200 करोड़ रुपए जमा करा सके।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए वहां के कुलपति ने अपने सह शिक्षकों समेत नौकरी छोड़ने की धमकी दी है। यही नहीं उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार चाहे तो किसी सांसद या विधायक को, जो राजनीतिक रुख का समर्थन करता हो, उसे कुलपति बना ले।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कर दी की। राष्ट्रपति अब किसी भी समय राष्ट्रपति शासन हटाने के फैसले पर दस्तखत कर सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सर्च इंजन गूगल के द्वारा देश में 5 रेलवे स्टेशन पर फ्री वाई-फाई फैसिलिटी शुरू की गई है। यह फ्री वाई-फाई सर्विस उज्जैन, जयपुर, पटना, गुवाहाटी और इलाहाबाद रेलवे स्टेशनों पर लांच की गई है। देश में गूगल के द्वारा करीब 100 रेलवे स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई सर्विस देने की घोषणा भी की गई है।
बांग्लादेश ने आज पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया और युद्ध अपराधों की सुनवाई पर पाक की टिप्पणी का विरोध किया। 1971 के युद्ध अपराधों के सिलसिले में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी की मौत की सजा की पुष्टि के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर इस्लामाबाद की ओर से नकारात्मक टिप्पणी की गई थी।
उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों के भाग्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर नौ मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।