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डीजल टैक्सियों पर दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय से मांगा समय

डीजल टैक्सियों पर दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय से मांगा समय

राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था की समस्या और लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने डीजल टैक्सियों का परिचालन बंद करने के लिए उच्चतम न्यायालय से समय मांगा है।
कोहिनूर से जुड़ी सूचना देने से केंद्र का इनकार

कोहिनूर से जुड़ी सूचना देने से केंद्र का इनकार

केंद्र ने ब्रिटेन से प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा वापस लाने को लेकर भारत के प्रयासों की जानकारी यह कहते हुए साझा करने से इनकार कर दिया है कि मामला अदालत में विचाराधीन है।
दिल्ली, एनसीआर में नहीं चलेंगी डीजल टैक्सियां

दिल्ली, एनसीआर में नहीं चलेंगी डीजल टैक्सियां

ओला और उबर जैसी टैक्सी कंपनियों समेत दिल्ली और एनसीआर में डीजल टैक्सियों के दिन पूरे हो गए हैं। उच्चतम न्यायालय ने ऐसी टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल की समय सीमा को और बढ़ाने से आज इंकार कर दिया।
पनामा पेपर्स में जिनके नाम हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है: जेटली

पनामा पेपर्स में जिनके नाम हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है: जेटली

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि पनामा पेपर्स में जिन-जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उन सभी को नोटिस भेजा गया है और कानून के अनुरूप कार्रवाई की जा रही है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया आदर्श सोसायटी को गिराने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया आदर्श सोसायटी को गिराने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के विवादित आदर्श सोसाइटी की इमारत को गिराने का आदेश दिया। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि इसका निर्माण अवैध तरीके से हुआ था। अदालत ने अधिकारों के दुरूपयोग के लिए राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी विचार करने को कहा।
कोहिनूर पर लोकसभा में उठी मांग, हीरे को वापस लाए सरकार

कोहिनूर पर लोकसभा में उठी मांग, हीरे को वापस लाए सरकार

बेशकीमती कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाने की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के रखे गए तकनीकी रूख से असहमति जताते हुए लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने मांग की कि भारत सरकार षड़यंत्र से लिए गए इस हीरे को देश में वापस लाने के लिए सभी प्रयास करे।
चर्चाः पत्थर का सिंहासन, न्याय के आंसू | आलोक मेहता

चर्चाः पत्थर का सिंहासन, न्याय के आंसू | आलोक मेहता

देश-दुनिया को न्याय दिलाने वाले भारतीय न्यायाधीशों की कोई यूनियन नहीं होती। वे नारे नहीं लगा सकते। विरोध में प्रदर्शन नहीं कर सकते। स्वयं बनाई आचार संहिता के तहत अधिकांश न्यायाधीश भव्य पार्टियों से भी बचते रहते हैं। निजी समारोह में भी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करते। विधि संस्‍थानों अथवा प्रतिष्ठित संस्‍थानों को छोड़कर सभाओं को संबोधित करने नहीं जाते। केवल सत्य निष्‍ठा और निष्पक्ष न्याय उनका मूल मंत्र और लक्ष्य होता है। कानूनी ग्रंथों के अलावा अदालत में प्रस्तुत प्रकरणों की मोटी फाइलें दिन-रात पढ़ते और फैसले लिखते हैं।
...और जब गला भर आया देश के प्रधान न्यायाधीश का

...और जब गला भर आया देश के प्रधान न्यायाधीश का

देश के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन के दौरान एक क्षण ऐसा भी आया जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर बेहद भावुक हो गए और उनका गला भर आया।
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