पंजाब की अनाज मंडियों में इस दफा रौनक का वैसा आलम नहीं है जैसा अक्सर होता है। बेमौसमी बारिश और ओलों की वजह से पहले ही गेहूं की पैदावार को नुकसान पहुंचा है और रही-सही कसर राज्य के गोदामों से चोरी हुए अनाज ने पूरी कर दी। लगभग 20,000 करोड़ रुपये के इस अनाज घोटाले ने राज्य में अकाली-भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है और बैंकों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं लेकिन इसका सबसे अधिक नजला किसानों पर गिरा है।
धान की सरकारी खरीद और मिलिंग में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ी हैं। कैग की रिपोर्ट बताती है कि कैसे धान खरीद की सरकारी प्रणाली राइस मिलों के अनुचित लाभ का जरिया बन गई है। इन कमियों को दूर करने के साथ-साथ कैग ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान सीधे किसानों के खातों में करने की सिफारिश की है।
धान की सरकारी खरीद और मिलिंग में भारत के नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कई अनियमितताएं पाई हैं। कैग की ओर संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जिसका एक उदाहरण यहां पेश है।