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ऐतिहासिक जलवायु समझौते को मंजूरी, जानिए इसकी खास बातें

ऐतिहासिक जलवायु समझौते को मंजूरी, जानिए इसकी खास बातें

दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए विश्‍व के 196 देशों के बीच पेरिस में ऐतिहासिक हो गया है। लंबी खींचतान और विचार-विमर्श के बाद भारत, चीन, अमेरिका समेत छोटे-बड़े तमाम देश इस समझौते पर राजी हुए। इसमें धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे रखने का लक्ष्‍य रखा गया है।
ऐतिहासिक क्षण: सऊदी अरब में चुनी गई पहली महिला प्रतिनिधि

ऐतिहासिक क्षण: सऊदी अरब में चुनी गई पहली महिला प्रतिनिधि

सऊदी अरब में पहली बार एक महिला ने नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। सलमा बिन हिजब अल ओतीबी ने मक्का में मदरका की नगर निगम परिषद का चुनाव जीत कर अत्यंत रूढ़िवादी सऊदी अरब की पहली निर्वाचित महिला प्रतिनिधि बनने का गौरव हासिल किया है। यह पहला मौका है जब सऊदी में महिलाओं को मतदान करने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला। मताधिकार मिलने से उत्साहित सऊदी की महिलाओं के लिए नतीजे भी बेहद उत्साहजनक आए हैं।
शकूरबस्ती में बच्ची की मौत पर विवाद, केजरीवाल और केंद्र के बीच टकराव

शकूरबस्ती में बच्ची की मौत पर विवाद, केजरीवाल और केंद्र के बीच टकराव

दिल्ली में शकूरबस्ती इलाके में रेलवे के अतिक्रमण हटाओ अभियान के समय हुई एक बच्ची की मौत के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने झुग्गियां तोड़ने के दौरान 6 महीने की बच्ची की मौत के मामले की जांच का आदेश दिया है। केजरीवाल ने भारी सर्दी में गरीबों को बेघर करने के रेलवे के अभियान को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। उधर, भाजपा और कांग्रेस ने इस मामले पर केजरीवाल सरकार पर हमला बोल दिया है।
वायु प्रदूषणः स्वराज अभियान का केजरीवाल को समर्थन

वायु प्रदूषणः स्वराज अभियान का केजरीवाल को समर्थन

स्वराज अभियान के राज्य सचिव राजीव गोदारा का कहना है कि हम सैद्धांतिक रूप से दिल्ली की सड़कों पर निजी वाहनों को कम करने के लिए उठाए गए कदम का स्वागत करते हैं लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना इतना भी आसान नहीं है। स्वराज अभियान के अनुसार इस संबंध में नीतियों में बदलाव के समय ध्यान से सोचा जाना चाहिए। इस योजना की सफलता मजबूत सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर करती है। इसके जरिये सरकार के प्रशासनिक कौशल और राजनीतिक इच्छाशक्ति की असली परीक्षा होगा।
केजरीवाल का लोकपाल बिल पेश, विरोध करते योगेंद्र-प्रशांत गिरफ्तार

केजरीवाल का लोकपाल बिल पेश, विरोध करते योगेंद्र-प्रशांत गिरफ्तार

अरविंद केजरीवाल की दिल्‍ली सरकार ने अपना जन लोकपाल विधेयक सोमवार को विधानसभा में पेश कर दिया। इस बीच स्‍वराज अभियान ने इस विधेयक के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन तेज कर दिया है। इस सिलसिले में कल विधानसभा मार्च के लिए जाते स्‍वराज अभियान के प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव समेत कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
लोकपाल बिल पर प्रशांत भूषण की केजरीवाल को खुली चुनौती

लोकपाल बिल पर प्रशांत भूषण की केजरीवाल को खुली चुनौती

जन लोकपाल बिल को लेकर स्‍वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल की दिल्‍ली सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि दिल्‍ली सरकार की ओर से लाया जा रहा जन लोकपाल विधेयक वर्ष 2014 के उस विधेयक से पूरी तरह अलग है, जिसके लिए केजरीवाल ने सत्‍ता छोड़ने की बात कही थी।
बुंदेलखंड में सूखे के सर्वे पर स्‍वराज अभियान ने दी सफाई

बुंदेलखंड में सूखे के सर्वे पर स्‍वराज अभियान ने दी सफाई

अकाल के कगार पर खड़े बुंदेलखंड में कराए गए एक सर्वेक्षण पर स्वराज अभियान और बुदेलखंड आपदा राहत मंच ने अपनी तरफ से सफाई दी है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया था कि बुंदेलखंड के 108 गांव में से 38% गांव से खबर है कि वहां होली से लेकर अब तक भूखमरी या कुपोषण की वजह से मौत हुई है।
यूपी के बुंदेलखंड में भूख से हो रही मौतेः योगेंद्र यादव

यूपी के बुंदेलखंड में भूख से हो रही मौतेः योगेंद्र यादव

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सात जिलों में हुए सर्वेक्षण में सामने आया है कि यहां के 38 फीसदी गांवों में भूख से एक मौत हुई है। जबकि राज्य सरकार इसे सिरे से खारिज कर रही है। यही नहीं जिस गाय को बचाने के लिए देश में बवाल हो रहा है, बुंदलेखंड के 41 फीसदी लोग गरीबी और भुखमरी के चलते अपनी गायों को छोड़ रहे हैं। यह खुलासा स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने किया। स्वराज अभियान की ओर से बुंदेलखंड के सात जिलों की 27 तहसीलों के 108 गांवों में यह सर्वेक्षण किया गया है।
मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

हिंदी के अनेक दुर्लभ ग्रंथ, पुरानी पुस्तकों की प्रति, पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें अब उपलब्‍ध नहीं हैं। इस कारण देश के विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रामाणिक ढंग से नहीं हो पाते और साहित्य में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर गड़बड़ियां बनी रहती हैं। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने सन 1933 में प्रकाशित द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ को दोबारा प्रकाशित कर अच्छा काम किया है। लेकिन जिस तरह हड़बड़ी और असावधानी में यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया है उसे लेकर चिंता होती है।
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