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Search Result : "करिण बेदी"

प्रकृति से प्रेरित मंदिरा की साड़ियां

प्रकृति से प्रेरित मंदिरा की साड़ियां

दो साल पहले फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में कदम रख चुकीं मशहूर अभिनेत्री और टीवी प्रस्तोता मंदिरा बेदी ने इस बार अपने ही शहर दिल्ली में सर्दियों के लिए साड़ियों का अपना पहला संग्रह पेश किया है।
संजीवनी के संजीत नहीं रहे

संजीवनी के संजीत नहीं रहे

चर्चित धारावाहिक संजीवनी में डॉ. उमेश जोशी यानी ओमी का किरदार निभाने वाले संजीत बेदी बेदी का कल रात निधन हो गया। ओमी के किरदार से वह घर-घर में अपनी पहचान बना चुके थे।
बेदी को लाने से नुकसान हुआः कलराज

बेदी को लाने से नुकसान हुआः कलराज

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि किरण बेदी को नेता के तौर पर पेश किए जाने से दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ और पार्टी अब अन्य राज्यों में पैराशूट नेताओं के कारण पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिये ठोस रणनीति बना रही है।
भाजपा ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है-कीर्ति आजाद

भाजपा ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है-कीर्ति आजाद

भाजपा सांसद कीर्ति आजाद दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के लिए पार्टी और संगठन के उन नेताओं को जिम्मेवार ठहराते हैं जिन्होंने आम आदमी पार्टी को कमजोर करके आंका और अरविन्द केजरीवाल को भगोड़ा साबित करने की कोशिश की।
इस बार बीजेपी में वह जोश नहीं

इस बार बीजेपी में वह जोश नहीं

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर स्थानीय स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी दिखाई दे रही है। ज्यादातर पार्टी कार्यकर्ता किरण बेदी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने को लेकर नाराज हैं।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान जारी है। यहां बीजेपी और आप के बीच कांटे की टक्कर है। यहां किस पार्टी के जीतने के आसार हैं? कौन सी पार्टी लोकतंत्र और दिल्ली की जनता के लिए बेहतर साबित होगी?
कब बनेगी टीम इंडिया?

कब बनेगी टीम इंडिया?

पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी अब तक टीम इंडिया का चुनाव न होने से हैरान हैं। बेदी का मानना है कि विश्व कप में दस दिन से भी कम समय बचा है और भारत अपनी मुख्य टीम की पहचान तक नहीं पा रहा है। इससे टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।
पर्दे के पीछे का व्यूह

पर्दे के पीछे का व्यूह

दिल्ली में विधानसभा के चुनाव दो तरह से लड़े जा रहे हैं। एक, सार्वजनिक मंचों और सडक़ों पर तो दूसरा पर्दे के पीछे। बाहर की चुनावी लड़ाई तीनों प्रमुख पार्टियों,उनके चुनावी चेहरों तथा उनके उछाले मुद्दों के बीच है। तीनों चुनावी चेहरे जगजाहिर हैं।
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