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65,250 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा : जेटली

65,250 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा : जेटली

देश के भीतर रखे कालेधन को कर दायरे में लाने के लिये शुरू की गई आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत कुल 65,250 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह जानकारी दी।
तीन लाख रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर लगे रोक, एसआईटी की सिफारिश

तीन लाख रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर लगे रोक, एसआईटी की सिफारिश

अर्थव्यवस्था में कालेधन पर अंकुश लगाने के लिये तीन लाख रुपये से अधिक राशि के नकद लेनदेन और व्यक्तिगत स्तर पर 15 लाख रुपये से अधिक नकद राशि रखने पर रोक होनी चाहिये। यह सुझाव कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने दिया है।
विदेशों में 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगा

विदेशों में 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगा

आयकर विभाग ने वैश्विक स्तर पर हुए खुलासे के बाद भारतीयों की विदेशों में रखी संपत्ति के बारे में जांच से 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाने का दावा किया है। विभाग ने करीब दो सौ इकाइयों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू की है।
कालेधन के विरुद्ध राजग सरकार का अभियान

कालेधन के विरुद्ध राजग सरकार का अभियान

कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने वाले व्‍यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्‍य से विगत में हमारे यहां टैक्‍स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्‍साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्‍स लगाते हैं तो वे उन्‍हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
कालेधन की मुखबिरी पर मिलेगा 15 लाख रूपये का ईनाम

कालेधन की मुखबिरी पर मिलेगा 15 लाख रूपये का ईनाम

विदेशों में जमा कालाधन भारत लाने और जनता के खातों में 15-15 लाख रुपये पहुंचाने के चुनावी जुमले से जूझ रही केंद्र सरकार कालेधन की मुखबिरी पर 15 लाख रुपये तक का ईनाम दे सकती है।
भारत कालेधन की पनाहगाह नहीं, कर चुकाना ही होगा : जेटली

भारत कालेधन की पनाहगाह नहीं, कर चुकाना ही होगा : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को साफ कर दिया कि भारत कालेधन की पनाहगाह (टैक्स हैवन) नहीं है और यहां न्यायोचित कर चुकाना ही होगा। जेटली ने यहां उद्योगमंडल सीआईआई की वार्षिक आम-सभा को संबोधित करते हुए कहा, भारत निवेशकों के लिए इतना असुरक्षित नहीं है कि कर की हर न्यायोचित मांग को कर आतंकवाद के रूप में देखा जाए।