साहित्य अकादेमी की ‘राष्ट्रीय भावात्मक एकता: भारतीय भाषा और साहित्य के संदर्भ में’ विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन पर कपिल कपूर ने कहा, भारत का एकत्व ज्ञान की परंपरा के कारण ही है।
युग बदल गया है। अब कुरुक्षेत्र में सत्ता के लिए आमने-सामने संघर्ष नहीं होता। सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा ने भारतीय जनता पार्टी को पहली बार सत्ता दिलाई। सोमनाथ की तरह काशी (बनारस-वाराणसी) भी आजादी के बाद राजनीतिक सत्ता संघर्ष का एक बड़ा केंद्र रहा है।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के लिए दूसरी बार पेश रेल बजट को पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने यह कहकर खारिज कर दिया कि रेल बजट में नजरिया पेश करने का बयान होता है लेकिन इसमें तो रेल मंत्री मतिभ्रम वाला बयान दिया है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कहा कि भाजपा ने बहुत हल्का बजट पेश करते हुए पूरी रेल व्यवस्था को ही पटरी से उतार दिया, इसमें कुछ नयापन नहीं था।
साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव में ‘गांधी, आंबेडकर, नेहरू: निरंतरता तथा अलगाव’विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय इतिहास और संस्कृति की प्रख्यात अध्येता कपिला वात्स्यायन ने अपनी बात रखी।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों को अब एक अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। उन्हें अब महिला श्रद्धालुओं की पोशाक पर नजर रखनी होगा, खासकर विदेशी महिलाओं पर जो बदन दिखाऊ या घुटने से ऊपर वाली छोटे वस्त्र पहनकर दर्शन के लिए आ जाती हैं।
आज साहित्य अकादमी का नजारा कुछ बदला-बदला सा है। ‘लेखकों का यह घर’ मीडिया कर्मियों के जमावड़े से गुलजार था। लेखक प्रदर्शनकारियों के बाने में थे। पहली बार हुआ कि अकादमी की इमारत में जाने के लिए पहचान पूछी जा रही थी।
लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए साहित्य अकादमी ने आज सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केंद्र सरकारों से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने की अपील की।
दाल की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ पांच राज्यों में की गयी कार्रवाई में 5,800 टल दालें जब्त की गई है। हालांकि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दालों की कीमतों में वृद्धि जारी है और यह 210 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
1990 में जब प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशाें को लागू करने का कदम उठाया तो उस समय पूरी सियासत ही गरमा गई। जगह-जगह वीपी सिंह के पुतले फूकें जा रहे थे और उनकी सरकार भी गिरा दी गई। पच्चीस साल बाद भी मंडल आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। मंडल आयोग की रिपोर्ट में 13 अनुशंसाएं की गई थीं लेकिन दो ही अनुशंसाएं लागू हो पाईं।
मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।