आज देश के 14वें राष्ट्रपति के लिए जारी मतदान के बीच कांग्रेस ने कहा कि देश की राजनीति में विचारों के संघर्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने की चुनौती इस राष्ट्रपति चुनाव में है।
मशहूर राइटर शोभा डे ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के चेयरमैन पहलाज निहलानी को खुली चुनौती दी है। शोभा ने कहा है कि वो ‘गाय’, ‘गुजरात’, ‘दंगा’ और ‘हिंदुत्व’ जैसे शब्द बोलेंगी और उन्हें जो करना हो कर लें।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौकेे पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत देश के तमाम नेताओं और जानी-मानी हस्तियों ने आसन किए। लेकिन इस बीच देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेेेेहरू का शीर्षासन भी खूब चर्चाओं में रहा।
अक्सर भारत को लेकर आपत्तीजनक भाषा का प्रयोग करने वाले पाकिस्तानी टीवी पत्रकार लियाकत आमिर लियाकत ने भारतीय पत्रकार अर्णब गोस्वामी के लिए अभ्रद भाषा का प्रयोग किया है। आमिर इससे पहले जी न्यूज को लेकर भी इसी तरह का शो कर चुके हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम हैकिंग की चुनौती को सिर्फ एनसीपी ने स्वीकार किया है। आप ने चुनाव आयोग के ईवीएम हैकथान को ड्रामा बताया है। 3 जून को होने वाले ईवीएम हैकथान के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का शुक्रवार को आखिरी दिन था।
भारतीय हिन्दी फिल्म निर्माता और निर्देशक महेश और मुकेश भट्ट ने इस बार श्रीजीत मुखर्जी को उन्हीं की फिल्म 'राजकहिनी' हिंदी में बनाने की जिम्मेदारी दी थी, जो उन्होंने ‘बेगम जान’ बनाकर पूरी कर ली है। बांग्ला भाषा में बनी फिल्म ‘राजकाहिनी’ वर्ष 2015 में रिलीज हुई थी। हिंदी सिनेमा ने इससे पहले भी कई भारतीय भाषाओं की हिट फिल्मों का रिमेक किया है।
तीन मैच, तीन पारी। हर पारी में 30 से ज्यादा रन। एक बार अर्धशतक और एक बार 'मैन ऑफ द मैच'। बल्लेबाजी में यह निरंतरता दिखाई है आईपीएल में मुंबई इंडियंस के बल्लेबाज नीतिश राणा ने। आईपीएल के इस सीजन में अब तक उनसे ज्यादा रन (129 रन) सिर्फ डेविड वार्नर (139 रन) ने बनाए हैं। ओरेंज कैप के लिए फिलहाल इन दोनों बल्लेबाजों में होड़ चल रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के मौके पर अगर हम विभिन्न देशों के विकास, रहन-सहन और सेहत पर कोई टिप्पणी करें तो उसमें हमें मलावी की रंजकहीनता पर जरुर कुछ जानने की जरुरत है। कैसे यह देश रंजकहीनता की त्रासदी झेल रहा है। विकास के ढेकेदार आधुनिकता के लाख दावे कर लें पर अभी भी इस जहां में कितने लोग ऐसे हैं जो एक सामान्य जीवन को पाने को तरस रहे हैं। पिछले कई सालों में देश-विदेश हर जगह कई ऐसी बीमारियों के बारे में सुनने को मिला, जिसका नाम हमने पहले कभी नहीं सुना था जैसे इबोला, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू आदि। इन बीमारियों ने देश-विदेश हर जगह लोगों के बीच अपना पांव पसार लिया है। इन बीमारियों से ग्रसित लोगों की परेशानियों और मृत्यु दर के आंकड़ों को देखकर यह अनुमान लगाया गया कि ये रोग कितने घातक साबित हो रहे हैं। ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोग इनके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण या फिर गलत इलाज होने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसा कहा जाना गलत न होगा कि कुछ देशों की खुशहाली पूरे दुनिया की रौनक नहीं कही जा सकती। आज भी कहीं-कहीं मानव समाज में गरीबी, भूख, कुपोषण का घनघोर अंधेरा व्याप्त है। इसी बानगी में आप मलावी की रंजकहीनता को जानेंगे तो आपको निराशा होगी।