भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने शनिवार को पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी सहित राज्य के विश्व कप विजेता (1983) और (2011) खिलाडि़यों को फिरोजशाह कोटला मैदान के अंदर सम्मानित करने की दिल्ली सरकार को स्वीकृति नहीं दी। बीसीसीआई ने कहा कि इस समारोह के कारण नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट शृंखला शुरू कराने की कवायद पर शिवसेना ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) पर हमला बोला है। पार्टी के मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि बीसीसीआई मुंबई पर 26 नवंबर को हुए खौफनाक हमले करने वाले कसाब और उसके सहयोगियों के सम्मान में यह शृंखला कराना चाह रहा है।
मास्को की मुलाकात कोई औपचारिक इंटरव्यू नहीं थी। न ही यह लुक-छिपकर की गई कोई भेंट थी। बढ़िया बात यह थी कि हमारा मिलना किसी सतर्क, कूटनीतिक, औपचारिक एडवर्ड स्नोडेन से नहीं हुआ। अफसोस की बात यह है कि कमरा नंबर 1001 में हुए मजाकों, हास्य और मसखरेपन को उसी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता।
बिहार चुनाव के नतीजे आने का बाद सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कविता काफी प्रसारित हो रही है। इस कविता में कहा जा रहा है कि अब कहीं से भी गोमांस, सम्मान वापसी, अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई बयान नहीं आ रहा है। यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसा सहिष्णुता की वजह से है या ऐसा बिहार का चुनाव खत्म हो जाने की वजह से है। स्पष्ट तौर पर यह आरोप लगता रहा है कि लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों द्वारा जो पुरस्कार लौटाए जा रहे थे वह बिहार चुनावों को प्रभावित करने की एक पूर्वनियोजित साजिश थी। इस संबंध में आरएसएस का मानना है कि पुरस्कार वापसी की मुहीम राजनीतिक ताकतों के हित में बहुत सलीके से संयोजित की गई थी। केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने तो यहां तक कहने में भी गुरेज नहीं किया कि पुरस्कार वापसी के इस मुहिम में बहुत ज्यादा पैसा सम्मिलित था। जो कुछ भी हुआ, यह उसकी पूरी तरह से एक प्रायोजित और विकृत व्याख्या है।
बिहार चुनाव में क्यों इतनी क्रूरता से पलटा भाजपा का भाग्य। भाजपा के प्रवक्ता और समर्थक महागठबंधन के अंकगणित और विपक्षी एकता को ही बढ़-चढ़कर अपनी हार की मुख्य वजह बताने मे लगे हैं। इस बहस में यह तथ्य बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया गया कि हाल के चुनाव में भाजपा के परंपरागत मतदाताओं के अच्छे खासे प्रतिशत ने पार्टी का साथ छोड़ दिया।
देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चल रही बहस को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि विचारों के लिए माहौल बेहतर बनाने के वास्ते सहिष्णुता तथा परस्पर सम्मान जरूरी है और किसी समूह विशेष को शारीरिक क्षति पहुंचाने या अपमानजनक शब्द कहने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
बिहार में दो चरण का मतदान होने के बाद मतदान के रुझानों और विभिन्न जातों की गोलबंदी से एक बड़ा सवाल उभर रहा है कि क्या यह विधानसभा चुनाव अगड़ा बनाम पिछड़ा बनता जा रहा है।
देश में लेखकों पर बढ़ते हमले और असहमति की आवाजों को दबाने के विरोध में हिंदी के वरिष्ठ कवि-चिंतक मनमोहन ने हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से मिला सम्मान लौटा दिया है। उन्होंने सम्मान के साथ मिली 1 लाख रुपये की राशि भी अकादमी को वापसभेज दी है।