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Search Result : "केंद्रीय बैंक"

निजी स्टाफ में रिश्तेदार

निजी स्टाफ में रिश्तेदार

ध्य प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले मंत्री की रिश्तेदारियां राजस्थान में हैं। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने ने अपने निजी स्टाफ में अपने रिश्तेदार की नियुक्ति कर दी है।
कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि मार्च 2014 तक के तीन वर्षों में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है।
ग़ाजीपुर में बीमार हैं स्वास्थ्य केंद्र

ग़ाजीपुर में बीमार हैं स्वास्थ्य केंद्र

गाजीपुर जिला चिकित्सालय के आकस्मिक चिकित्सा विभाग में सुबह के दस बजे हैं और इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। पूछने पर पता चला कि आज डॉक्टर साहब नहीं आएंगे।
सिर्फ विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से नहीं रुकेगा संकट: आरबीआइ

सिर्फ विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से नहीं रुकेगा संकट: आरबीआइ

विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले सप्ताह छह अरब डालर की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का कोई स्तर पर्याप्त नहीं होता है।
स्विस बैंक में 16वें स्थान पर भारतीय

स्विस बैंक में 16वें स्थान पर भारतीय

पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्‍था ने सूची जारी कर एचएसबीसी के एक लाख से अधिक ग्राहकों और उनके खातों का जिक्र किया है जिनमें कुल 100 अरब डॉलर से अधिक की राशि जमा करने का उल्लेख है। इस सूची में 19000 से अधिक ऐसे ग्राहक हैं जिनका देश नहीं दर्शाया गया है।
बैंकों की मदद करेगी सरकार

बैंकों की मदद करेगी सरकार

भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति को सुधारने की कवायद शुरू कर दी है। इस सिलसिले में सरकार ने 9 बैंकों की मदद करने का फैसला किया है।
इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

राजधानी के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर नागरिकों की एक अनुसंधान टीम के साथ घोर मोआवादी प्रभाव वाले एक जिले में गए जहां उनके एक पूर्व छात्र पुलिस अधीक्षक हैं। पुलिस अधिकारी की अपने पूर्व शिक्षक से मुलाकात का यह गर्वीला क्षण था, उन्होंने अपने गुरु के पांव छुए और उनके साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई। नागरिक अनुसंधान टीम ने तब तक प्रशासन, पुलिस और सरकार समर्थित नक्सल विरोधी सशस्त्र निजी सेना का पक्ष ले लिया था इसलिए प्रोफेसर ने माओवादियों का पक्ष लेने के लिए नदी पार जाने की बात कही। इस पर शिष्य पुलिस अधीक्षक तपाक से बोले, सर, आप उस पार गए कि दुश्मन की तरफ होंगे और हमारी गोली खा सकते हैं। मैंने जानबूझकर दोनों लोगों का नाम छिपाया है ताकि एक निजी गुफ्तगू दोनों के लिए सार्वजनिक झेंप की वजह न बन जाए। लेकिन उनकी बातचीत से प्रशासन की ताजा मानसिकता पता चलती है: कि अब नक्सलवादियों के साथ निबटने में बीच की कोई जनतांत्रिक जमीन नहीं बची है। न सिविल हस्तक्षेप की कोई पहल, जैसे जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में बिहार के मुसहरी में की थी। अब प्रतिनिधि शासन और माओवादियों के बीच बस मैदान-ए-जंग है।
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