राजस्थान के कोटा शहर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने महावीर नगर थाने में जमकर बवाल किया। दरअसल पुलिस हेलमेट नहीं पहनने वाले लोगों का चालान काट रही थी। और यही बात भाजपा कार्यकर्ताओं को नागरवार गुजरी। आनन फानन में कार्यकर्ता विरोध करने सीधे थाने पहुंच गए। कार्यकर्ताओं के साथ कोटा से विधायक चंद्रकांता मेघवाल के पति नरेंद्र मेघवाल भी शामिल थे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच कहा सुनी हुई और हंगामा होने लगा, जिसके बाद पुलिस को सख्ती करनी पड़ी।
केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के सांसद कोटा में जल्द ही अहम बदलाव हो सकता है। नए प्रावधानों में सांसद कोटा के तहत होने वाले दाखिले के लिए गरीब बच्चों को वरीयता देनी होगी। पिछली सरकार के दौरान इस कोटे को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया था, मगर सांसदों के भारी विरोध के बाद इस फैसले को वापस लेना पड़ा था।
देश में प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा से लेकर तकनीकी शिक्षा पद्धति के विरोधाभास एवं दुविधा की स्थिति के बीच एक बेहतर कल की आस में कोचिंग संस्थाओं के जंजाल में फंसे छात्रों द्वारा आत्महत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है, ऐसे में कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग तेज हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक फैसले में कहा कि ‘शिक्षा व्यापार नहीं बल्कि उत्कृष्ट कार्य है। शिक्षा का उद्देश्य देश के लोगों को शिक्षित और सशक्त बनाना है। राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा लिया जाना या फीस निर्धारित करना शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।’
भयंकर सूखे से जूझ रहे मराठवाड़ा के लातूर क्षेत्र के लिए एक विशेष ट्रेन लगभग पांच लाख लीटर पानी लेकर आज सुबह पहुंची। यह ट्रेन 18 घंटे की यात्रा करने के बाद लातूर पहुंची।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। बिहार के मूल निवासी पीयूष कुमार गुजरात के अहमदाबाद में बैंक अधिकारी हैं। परिवार में पत्नी के अलावा सिर्फ एक बेटा है जो दसवीं की परीक्षा पास कर चुका है। मगर बेटा और पत्नी उनके साथ नहीं रहते। दोनों राजस्थान के कोटा में हैं जहां बेटा आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए एक नामी कोचिंग सेंटर में तैयारी कर रहा है। एक और उदाहरण देखें:ओडिशा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी श्वेता कुमारी इंजीनियरिंग क्षेत्र में मंदी के कारण बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही हैं। सिलीगुड़ी के अपने घर में रहकर उसने परीक्षा दी मगर लिखित परीक्षा की बाधा पार नहीं हो पाई। उसने दिल्ली का रुख किया और यहां एक कोचिंग से बैंकिंग की तैयारी के बाद पहली बार में ही रिजर्व बैंक और बैंक पीओ की लिखित परीक्षा पास कर ली। ये दो उदाहरण देश में कोचिंग के पूर्ण विकसित हो चुके धंधे की कहानी बयां करते हैं। जरा 15 साल पहले का जमाना याद करें जब कोचिंग का मतलब आपके घर में ही आस-पड़ोस के किसी बेरोजगार युवक द्वारा आपके बच्चों को पढ़ाई में थोड़ी-बहुत मदद कर देना होता था। अब अगर बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर, प्रशासनिक अधिकारी या किसी सरकारी दफ्तर में क्लर्क ही बनना हो तो औपचारिक शिक्षा की डिग्री के साथ-साथ किसी कोचिंग संस्था का मार्गदर्शन होना अनिवार्य है अन्यथा गला काट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में उसका पिछड़ना तय है। सीधे शद्ब्रदों में कहें तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। साल 2013 में हुए एक आकलन के मुताबिक भारत में कोचिंग इंडस्ट्री लगभग 23.7 अरब डॉलर (160.16 अरब रुपये) की थी, जिसके साल 2015 में 40 अरब डॉलर (270 अरब रुपये) के होने की भविष्यवाणी की गई थी और अगले पांच वर्षों में यह 500 अरब रुपये तक पहुंच सकती है।
दिल्ली सरकार ने आज एक अहम् फैसला लेते हुए राज्य के स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा पूरी तरह से खत्म कर दिया। आम आदमी पार्टी की सरकार के इस फैसले से हर साल दिल्ली के स्कूलों का चक्कर लगाने वाले हजारों अभिभावकों को काफी राहत मिलेगी।