Advertisement

Search Result : "गरीबी उन्मूलन"

गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ

गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ

इस साल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ऐंगस डीटन ने भारत में गरीबी, कीमतें, पोषण और स्तरीय जीवनशैली के क्षेत्र में जबर्दस्त योगदान किया है। दरअसल भारत के बारे में उनका कामकाज उनके संपूर्ण जीवन के कार्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गरीबों में भारत का गरीबी अनुपात सबसे बदतर

गरीबों में भारत का गरीबी अनुपात सबसे बदतर

भारत में 2012 में किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक गरीब आबादी थी पर देश की जनसंख्या में प्रति सैकड़ा गरीबों का औसत बड़ी गरीबी वाले देशों के बीच सबसे कम है। यह बात विश्व बैंक की ताजा रपट में कही। रपट के मुताबिक 2015 में विश्व में निपट गरीबों का औसत घटकर 10 प्रतिशत से नीचे आ सकता है।
गरीबी में पूर्व बॉक्‍सर बना सफाईकर्मी, लेकिन छोड़ी नहीं आस

गरीबी में पूर्व बॉक्‍सर बना सफाईकर्मी, लेकिन छोड़ी नहीं आस

15 साल की उम्र में अभिनेता धर्मेंद्र की फिल्म मैं इंतकाम लूंगा देखकर मुक्केबाजी रिंग में उतरे कमल कुमार वाल्मीकि ने जिला और प्रदेश स्तर पर कई पदक जीते और उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया। लेकिन एक सफाई कर्मचारी का यह होनहार मुक्केबाज बेटा पैसों की तंगी के कारण आगे नही खेल सका और अब यह अपने मुक्केबाजी के करियर के सपनों को दफन कर रोजी रोटी के लिये 4200 रूपये प्रति माह पर कूड़ा-गंदगी उठा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के समंदर में तैरती सच्‍चाई

सरकारी आंकड़ों के समंदर में तैरती सच्‍चाई

इसी महीने जारी सामाजिक-आर्थिक-जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़े देखकर हम दिल्ली में समुंदर खोजने लग गए। इन आंकड़ों के नुसार दिल्ली में मछली पकड़ने की मशीनी नौकाएं 14,468 परिवारों के पास हैं-बड़े समुद्र तटीय क्षेत्र वाले तमिलनाडु के 13,760 परिवारों के पास ऐसी नौकाओं से कहीं ज्यादा। और तमिलनाडु के बड़े तटीय भूभाग को पखारता विशाल समुंदर और उसमें दूर-दूर तक डूबती-उतराती, मछली मारने के लिए जाल फैलाती अनगिनत मशीनी और मानव चालित नौकाएं हमने आंखों देखी हैं।
मैले से मुक्ति के लिए जुटे मंत्री

मैले से मुक्ति के लिए जुटे मंत्री

केंद्र सरकार ने भारत को मैला प्रथा से मुक्त कराने की दिशा में देश भर से राज्य मंत्रियों की उच्च स्तरीय सम्मेलन बुलाया है। यह सम्मेलन दिल्ली के डीआरडीओ भवन में चल रही है और इसमें इस कुप्रथा के खात्मे के लिए अब तक उठाए गए कदमों की विवेचना हो रही है।