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Search Result : "गरीबों का दर्द"

किताब के जरिए अब्दुल कयूम ने बयां किया दर्द

किताब के जरिए अब्दुल कयूम ने बयां किया दर्द

गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले के इल्जाम से बरी हुए मुफ्ती अब्दुल कयूम ने अपने दर्द को किताब के जरिए बताया है। '11 साल जेल में' शीर्षक से लिखी गई इस किताब में कयूम ने पुलिस प्रताड़ना से लेकर सामाजिक बुराइयों के बारे में विस्तार से लिखा है।
घर गरीबों के लिए, मासिक किस्त 34 हजार रुपये

घर गरीबों के लिए, मासिक किस्त 34 हजार रुपये

उत्तर प्रदेश में गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाएं कैसे गरीबों का मजाक बनाती हैं उसकी एक बानगी भर है समाजवादी आवास योजना। पूरे जोर-शोर से शुरू की गई समाजवादी आवास योजना के तहत सिर पर छत पाने के लिए गरीबों को 34 हजार रुपये की मासिक किस्त देनी होगी।
मर्द को भी दर्द होता है

मर्द को भी दर्द होता है

जंतर-मंतर पर आज उत्तर भारत के कई राज्यों से आए पुरुषों ने प्रदर्शन किया। सेव मैन्स राइट्स एसोसिएशन (समरा) के बैनर तले किया गया यह प्रदर्शन एक अलग तरह का प्रदर्शन था। इसमें दहेज की धारा 498-ए और घरेलू हिंसा संबंधी कानून की धारा के तहत विवाहित लड़की वालों द्वारा सताए गए पुरुषों ने मांग की है कि पुरुषों के लिए भी एक पुरुष आयोग बनाया जाए। यहां आए कानून के जानकार पुरुषों ने कानून में दर्ज उन धाराओं के बारे में भी बताया जो लड़के वालों को भी कुछ अधिकार देती हैं।
गरीबों के राशन पर पैसे का अड़ंगा

गरीबों के राशन पर पैसे का अड़ंगा

केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को नकद भुगतान में तब्दील करने के लिए बड़ी खामोशी से कदम उठा रही है। सर्वोच्च न्यायालय के आधार पर जो फैसला दिया था, उसे धता बताते हुए इस सुविधा को 100 फीसदी आधार कार्ड से जोड़ने जा रही है।
राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

हम गांव की चिंता में भटकते राहुल की चल और अचल तस्वीरें देखते हैं लेकिन अभी जानते कि गांवों को खुशहाल बनाने की उनकी नीतियां क्या हैं और वह इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने वाले हैं। हम गरीबों से राहुल के मेलजोल की कोशिशों के बाबत पढ़ते हैं और भरोसा करने को तैयार हैं कि वह उनकी हालत बिना किसी बिचौलिए के जानने चाहते हैं जिस देश में गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ अक्सर फर्जी गरीब उठा लेते हैं वहां अब हम जानना चाहते हैं कि राहुल सही गरीबों की शिनाख्त का कौन सा बेहतर तरीका अपनाएंगे। हम जानते हैं क अपने पिता राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी भी चिंतित हैं कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में सिर्फ 15 पैसे उन तक पहुंचते हैं लेकिन हमारी अब यह जानने की भी अपेक्षा है कि विचौलियों द्वारा चट हो रहे बाकी के 85 पैसे राहुल गरीबों तक कैसे पहुंचाएंगे। हम जानते हैं कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को राहुल गांधी अपनी यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं और उसे पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, शहरों मे भी, लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि वह इस योजना में व्यापक धांधली कैसे रोकेंगे, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को जॉब कार्ड मिले, काम पर आए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल पाए और इस योजना के जरिये गांवों में पक्के आधारभूत ढांचे भी बन पाएं।
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