ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजिज प्रोजेक्ट के एक विश्लेषण में चिंताजनक नतीजे सामने आये हैं। इसके अनुसार, 2015 में बाहरी वायु प्रदूषण से सबसे अधिक मौत भारत में हुई है जो चीन से भी अधिक है। इस अध्ययन से पता चलता है कि 1990 से अबतक लगातार भारत में होने वाले असामायिक मौत की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2015 में भारत में 3283 लोगों की प्रतिदिन असामयिक मौत हुई जबकि इसकी तुलना में चीन में 3233 लोगों की मौत हुई थी।
अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी इतिहास बनाते दिख रहे हैं क्योंकि इस समुदाय से रिकॉर्ड संख्या में लोगों के इस बार के आम चुनाव में निर्वाचित होने की पूरी संभावना है। देश की आबादी में करीब एक प्रतिशत इस समुदाय के लोग हैं।
भारतीय मूल के अमेरिकी लोग देश की कांग्रेस में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं क्योंकि नवंबर में होने जा रहे चुनाव में इस समुदाय से महिलाओं सहित ज्यादा उम्मीदवारों के जीतने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में अगले महीने होने वाले स्थानीय परिषदों के चुनावों में भारतीय मूल के प्रत्याशी रिकार्ड संख्या में अपनी किस्मत आजमाएंगे। विक्टोरिया में सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं।
भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की संख्या पिछले छह साल में दोगुनी हो गई है। क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार 2010 में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की संख्या 5.5 प्रतिशत थी जो 2015 में बढ़कर 11.2 प्रतिशत हो गई।
बिहार के मधुबनी जिले में आज एक बस के सड़क किनारे स्थित तालाब में गिरने से कम से कम 10 यात्रियों की मौत हो गई। हादसे में और छह अन्य लोगों के मारे जाने की आशंका है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विश्व के करीब 60 लाख शरणार्थी बच्चों की आधी से भी कम संख्या स्कूल में पढ़ती है जिसका अर्थ यह हुआ कि वैश्विक औसत की तुलना में उनके शिक्षा प्राप्त करने की संभावना पांच गुना कम है।
शुक्रवार को हुई झड़पों में घायल एक युवक की श्रीनगर के एक अस्पताल में मौत हो जाने से कश्मीर में मरने वालों का आंकड़ा 55 पहुंच गया। वहीं घाटी के कई हिस्सों में आज भी कर्फ्यू जारी है।
नॉर्वे, स्वीटजरलैंड और यूरोपीय समुदाय के 28 देशों में शरण मांगने वालों की संख्या 2015 में 13 लाख पार कर गई। 1992 से यह संख्या लगभग दोगुनी है, जब सोवियत संध के पतन के बाद सात लाख लोगों ने शरण मांगी थी। यूरोपीय समुदाय की स्टैटिकल एजेंसी यूरोस्टार्ट ने आंकड़े जारी किए हैं। शरणार्थी तीन देशों से हैं- सीरिया, अफगानिस्तान और इराक। तीनों ही मुल्कों में अरसे से संघर्ष चल रहे हैं। इन देशों से लोग हजारों की संख्या में बेदखल हो रहे हैं और यूरोपीय देशों में शरण मांग रहे हैं।