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देश हो तो ऐसा : स्विट्जरलैंड के लोगों ने मुफ्त सैलरी की पेशकश ठुकराई

देश हो तो ऐसा : स्विट्जरलैंड के लोगों ने मुफ्त सैलरी की पेशकश ठुकराई

अगर बिना काम किए कोई सैलरी देने का वादा करेगा, तो इससे खुशी की बात क्‍या होगी और यह खुशी तब और बढ़ जाएगी जब यह पेशकश सरकार की तरफ से आए। ऐसी सुहानेे प्रस्‍ताव को बहुत से लोग तुरंत स्‍वीकार कर लेंगे लेकिन स्विट्जरलैंड के लाेेगों की इससे अलग राय है। वहां के लोगों ने सरकार की तरफ से दी गई ऐसी पेशकश को ठुकरा दिया है।
ब्रिटेन: जनमत संग्रह पर कैमरुन के नेतृत्व को मिली चुनौती

ब्रिटेन: जनमत संग्रह पर कैमरुन के नेतृत्व को मिली चुनौती

यूरोपीय संघ (ईयू) के मुद्दे पर 23 जून को होने वाले जनमत संग्रह की समयसीमा निकट आने के साथ ही प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व को अपने ही सांसदों से खुली चुनौती मिल रही है। बागी सांसदों ने ईयू में ब्रिटेन की सदस्यता के मुद्दे से निपटने को लेकर उनके खिलाफ खुलेआम बोलना शुरू कर दिया है।
राजनीतिक जंग का सबसे अहम मैदान सोशल मीडिया

राजनीतिक जंग का सबसे अहम मैदान सोशल मीडिया

अब राजनीतिक चुनाव सिर्फ सभाओं, जुलूसों, नारेबाजियों और पोस्टरों के जरिये नहीं लड़े जाते हैं। इस जंग का एक और ऐसा मैदान है जो दिखाई तो नहीं देता लेकिन वहां महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस होती है। जनमत बनता है। जंग का यह नया मैदान सोशल मीडिया है। इस नए मैदान की लागत कम है और इसका फल इस मायने में मीठा है कि यह जनता को प्रभावित करने की जबरदस्त क्षमता रखता है। आज लगभग तमाम केंद्रीय मंत्री, सरकार, राज्य सरकारें, छोटे-बड़े नेता, विधायक, सांसद, मंत्रालय और राजनीतिक पार्टियों समेत देश की तमाम प्रभावशाली हस्तियां सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही हैं।
मोदी सरकार पर 'जनमत संग्रह' नहीं है बिहार चुनाव: अमित शाह

मोदी सरकार पर 'जनमत संग्रह' नहीं है बिहार चुनाव: अमित शाह

बिहार चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और मोदी सरकार पर इसके असर के बारे में पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह का एक महत्‍वपूर्ण बयान सामने आया है, जिसमें उन्‍होंने कहा है कि राज्‍यों के चुनावों को केंद्र सरकार पर जनमत संग्रह नहीं माना जा सकता है।
बेलआउट की शर्तों को ग्रीस ने नकारा, शेयर बाजारों में खलबली

बेलआउट की शर्तों को ग्रीस ने नकारा, शेयर बाजारों में खलबली

यूनान की जनता ने अंतरराष्‍ट्रीय अार्थिक मदद (बेलआउट पैकेज) की शर्तों को जनमत संग्रह में जोरदार तरीके से ठुकरा दिया है। इसके साथ ही यूनान और यूरोप की साझा मुद्रा के भविष्‍य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। बेलआउट पैकेज के बदले खर्चों में कटौती की शर्तों को यूनान के 61 फीसदी लोगों ने 'ना' पर मुहर लगाकर नकार दिया। इस फैसले के बाद यूनान के यूरोजोन से बाहर होने की आशंका बढ़ गई है। बेलआउट पैकेज की शर्तों के खारिज होने का सीधा मतलब है कि आईएमएफ और यूरो‍पीय संघ से कर्ज के लिए चल रही यूनान की वार्ता को झटका लगेगा।
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