केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल एक तरफ सरकार की दो साल की उपलिब्धयों को गिना रहे थे तो दूसरी ओर उनकी पत्रकार वार्ता में बिजली की आंख मिचौली जारी रही।
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने सूबे में नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को मीडिया की उपज करार दिया है। उन्होंने उनके और नितिन पटेल के सोमवार के दिल्ली दौरे को नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को मीडिया के दिमाग की उपज बताया है।
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और राज्य में सूख्ाा और जल संसाधन की स्थितियों पर चर्चा की। इस दौरान आनंदीबेन ने प्रधानमंत्री को सूखे से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयाासों के बारे में बताया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिशा में और काम किया जाए ताकि टैंकर से पानी की आपूर्ति पूरी तरह से खत्म हो।
देश के 13 राज्य गंभीर सूखे के संकट से जूझ रहे हैं। देश में औसतन हर साल 30 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि कम हो रही है। पर्यावरणविदों ने सरकार से मांग की है कि सूखे की समस्या के निपटारे के लिए दीर्घाकालीन पहल करने की जरूरत है।
उत्तराखंड में 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का काम पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा है। गैर सरकारी संगठनों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य यवतमाल पानी के अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है और जिला प्रशासन ने संकट से निपटने के लिए सरकार के पास एक प्रस्ताव पेश किया है।
छत्तीसगढ़ राज्य के जल संसाधन विभाग के आकड़ों के मुताबिक राज्य के वृहद और मध्यम सिंचाई जलाशयों में कुल 21 हजार 887 घनमीटर पानी उपलब्ध है, जो कुल इस्तेमाल योग्य जल संग्रहण क्षमता का 35 फीसदी है। यह आंकड़े किसी को भी डरा सकते हैं।
सहयोगी भाजपा पर एक बार फिर निशाना साधते हुए शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान बताने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की और चेतावनी दी कि भक्तगण ही नेताओं को संकट में डालेंगे।
कृषि और पेयजल की समस्या से जूझ रहे लोगों को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने प्रधानमंत्री को राजधर्म की याद दिलाते हुए कहा कि आज भारत के लगभग 40 फीसदी लोग कृषि और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है।
देश के 33 करोड़ लोग सूखे और जल संकट से परेशान हैं, लेकिन शहरों और गांवों तक पहुंचने वाले नेताओं, मंत्रियों के स्वागत-सम्मान में गुलदस्ते, फूलमाला, प्रतीक चिह्न भेंट करने पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं।