दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व सहयोगी का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने और उसका शील भंग करने के मामले में टेरी के पूर्व प्रमुख आर.के. पचौरी को आरोपी के रूप में आज तलब किया।
झारखंड में एक पादरी को उधार के पैसे मांगना भारी पड़ गया। उसे पैसे तो नहीं मिले बल्कि उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। खूंटी जिले के जीईएल चर्च के पादरी रेव अब्रहाम विश्वास सुरीन की हत्या का खुलासा पुलिस ने कर दिया है।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को देशद्राेह के आरोप में एक विषेश अदालत ने भगोड़ा घोषित किया है। मुशर्रफ को कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कई समन जारी किए गए थे लेकिन वह कोर्ट में अब तक पेश नहीं हुए। कोर्ट ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि 30 दिन के अंदर परवेज मुशर्रफ को कोर्ट के सामने हर हाल में पेश किया जाए।
बिहार के गया में दशरथ मांझी ने पत्नी के समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण पहाड़ काटकर रास्ता बना डाला था तो महाराष्ट्र के विदर्श इलाके में दलित समुदाय के एक पति ने सवर्णों द्वारा अपनी पत्नी को कुएं से पानी नहीं भरने देने के जवाब में कुआं खोद डाला और वह भी सिर्फ 40 दिनों में।
अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में भाजपा और कांग्रेस की बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है। सरकार ने बुधवार को इस मसले पर संसद में हुई चर्चा में साफ कर दिया कि मौजूदा जांच उन लोगों पर केंद्रित होगी जिनके नाम इटली की अदालत के फैसले में आए हैं।
सत्ताधारियों को तलवार लटकाना बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सदा यह समझता रहा है कि वह सर्वशिक्तमान है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सत्ता को बनाने-बिगाड़ने और देश की दशा तय करने का काम कर सकता है। यह दोनों प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित है।
संप्रग सरकार के समय में 3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वत मामले को लेकर कांग्रेस संकट में आ गई है। इस मामले में इटली की एक अदालत ने हेलीकॉप्टर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख को भारत में नेताओं को यह सौदा हासिल करने के लिए रिश्वत देने का दोषी ठहराते हुए साढ़े चार साल की सजा सुनाई है।
देश-दुनिया को न्याय दिलाने वाले भारतीय न्यायाधीशों की कोई यूनियन नहीं होती। वे नारे नहीं लगा सकते। विरोध में प्रदर्शन नहीं कर सकते। स्वयं बनाई आचार संहिता के तहत अधिकांश न्यायाधीश भव्य पार्टियों से भी बचते रहते हैं। निजी समारोह में भी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करते। विधि संस्थानों अथवा प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़कर सभाओं को संबोधित करने नहीं जाते। केवल सत्य निष्ठा और निष्पक्ष न्याय उनका मूल मंत्र और लक्ष्य होता है। कानूनी ग्रंथों के अलावा अदालत में प्रस्तुत प्रकरणों की मोटी फाइलें दिन-रात पढ़ते और फैसले लिखते हैं।