शिवसेना ने मनमोहन सिंह पर निशाना साधने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुये सोमवार को कहा कि वह दूसरों के बाथरूम में तांक भांक करना बंद करें, अपने पद की गरिमा बनाये रखें और विपक्षी दलों को उनकी कुंडली दिखाकर धमकी देने के बजाय अपनी सरकार पर ध्यान दें।
देश में नक्सली अभी भी सबसे खतरनाक बने हुए हैं। अरातकतावादी माओवादी संगठनों ने पिछले साल आईईडी और दूसरे घातक हथियारों के उपयोग से सबसे ज्यादा सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों की जान ली। नक्सलियों ने साल 2016 में सबसे ज्यादा आईईडी धमाके किए।
शपथ ग्रहण नहीं होने तथा और सांसदों के साथ छोड़कर चले जाने के बीच अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला ने कहा कि एक महिला के लिए राजनीति में रहना बहुत मुश्किल है जिसे उन्होंने जयललिता के समय भी ऐसा देखा था। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विधायक उनके साथ हैं।
ईमानदारी और स्वच्छ राजनीति का दंभ भरने वाली आम आदमी पार्टी ने चंदे की धांधली की है। आयकर विभाग की जांच में पता चला है कि 'आप' ने अपने चंदे के बारे में आम लोगों से झूठ बोला और चुनाव आयोग को भी अंधेरे में रखा।
पंजाब की राजनीति में डेरों की अहम भूमिका रही है। नेता अपने वोटबैंक के लिए डेरों की शरण में जाते रहे हैं। देश विदेश में इन डेरों से करोड़ों भक्त जुड़े हैं। इनमें से प्रमुख सच्चा सौदा यानि बाबा राम रहीम, राधा स्वामी, निरंकारी, सच्चखंड बल्लां आदि प्रमुख हैं।
तमिलानडु की दिवंगत मुख्यमंत्री दीपा जयकुमार ने राजनीति में विधिवत रूप से आ गई हैं। अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वह तमिलनाडु की राजनीति में आ गई हैं और 24 फरवरी को बड़ा धमाका करेंगी। धमाका करने के लिए जो दिन दीपा जयकुमार ने चुना है उस दिन जयललिता का जन्मदिन होता है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि भाजपा ने कभी धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं की और न ही करेगी तथा तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आलोक में सावधान हो जाने की जरूरत है कि उम्मीदवारों को धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए।
केंद्र के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली माकपा अपनी कमजोर पड़ती ताकत के साथ अब अपने पूर्व के बड़े कद की छाया मात्र रह गयी है और असहाय होकर भाजपा के खिलाफ अपनी भूमिका तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के हाथों में जाते देख रही है।
भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आये हुये ढाई साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है। इस दौरान सरकार ने जहां एक ओर देश की तस्वीर बदलने वाले विमुद्रीकरण जैसे बड़े फैसले लिये, वहीं दूसरी ओर उसे राजनीतिक फायदे अथवा राजनीतिक-सामाजिक विरोध के कारण अपने कुछ फैसलों से यू-टर्न भी लेना पड़ा।