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अमित मिश्रा की 4 साल बाद टेस्‍ट टीम में वापसी

अमित मिश्रा की 4 साल बाद टेस्‍ट टीम में वापसी

श्रीलंका दौरे पर टेस्ट सीरीज के लिए गुरुवार को भारतीय टीम घोषित हो गई है। टीम में हरभजन सिंह, इशांत शर्मा और अमित मिश्रा की वापसी हुई है जबकि रविंद्र जडेजा को टीम में जगह नहीं मिली है। टीम की कमान विरोट कोहली के हाथों में रहेगी।
जिम्‍बाब्‍वे को 62 रनों से हरा सीरीज पर भारत का कब्‍जा

जिम्‍बाब्‍वे को 62 रनों से हरा सीरीज पर भारत का कब्‍जा

अनुभवी खिलाड़‍ियों के बगैर उतरी भारतीय क्रिकेट टीम ने जिम्‍बाब्‍वे को दूसरे वनडे मैच में 62 रनों से हरा दिया है। 33 गेंदों में 4 विकेट लेने वाले भुवनेश्‍वर कुमार मैच के हीरो रहे हालांकि मुरली विजय को उनकी 72 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
मैगी विवाद के बाद बदल सकता है स्‍टारबक का टेस्‍ट

मैगी विवाद के बाद बदल सकता है स्‍टारबक का टेस्‍ट

टाटा स्‍टारबक ने ऐलान किया है कि वह अपने उत्‍पादों में उन सामग्रियों का इस्‍तेमाल नहीं करेगी, जिन्‍हें खाद्य नियामक एफएसएसएआई की मंजूरी नहीं मिली है।
सुनंदा पुष्‍कर केस: तीनों गवाहों का होगा पॉलीग्राफ टेस्‍ट

सुनंदा पुष्‍कर केस: तीनों गवाहों का होगा पॉलीग्राफ टेस्‍ट

दिल्‍ली की एक अदालत ने सुनंदा पुष्‍कर की मौत के मामले में शशि थरूर के दोस्‍त संजय दीवान, नौकर नारायण सिंह और ड्राइवर बजरंगी का पॉलीग्राफ टेस्‍ट कराने की अनुमति दे दी है।
साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और तेजी से उभरते एच.एस. प्रणय ने क्रमश: महिला और पुरुष वर्ग में जीत दर्ज करके आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के दूसरे दौर में प्रवेश किया।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?