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प्रकृति करगेती की कहानी: ठहरे हुए से लोग

प्रकृति करगेती की कहानी: ठहरे हुए से लोग

प्रकृति करगेती की यह पहली कहानी है। इसी कहानी पर उन्हें प्रतिष्ठित राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान मिला है। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक प्रकृति मुंबई में नेटवर्क 18में प्रोमो प्रोड्यूसर के पद पर काम करती हैं। कहानी लिखने से पहले प्रकृति कविताएं लिखती रही हैं। पहाड़ों के नाम लिखी गई उनकी कविताएं कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
बेगम अख्तर की याद में ठुमरी

बेगम अख्तर की याद में ठुमरी

संगीत नाटक अकादमी लंबे समय बाद फिर सक्रिय हो गई है। पिछले दिनों अकादमी में बेगम अख्तर की जन्मशती वर्ष पूरे होने के अवसर पर नामी कलाकारों के कार्यक्रम कराए।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
नए अंदाज में आगाज

नए अंदाज में आगाज

सफलता नए विचारों से इतर भी कई चीजों में निहित है। कुछ सफल उद्यमियों का सफर आैर अनुभव पेश है
संघ ने किया था आपातकाल का समर्थनः पूर्व आईबी प्रमुख

संघ ने किया था आपातकाल का समर्थनः पूर्व आईबी प्रमुख

देश में आपातकाल की घोषणा कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जितनी आलोचनाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके राजनीतिक दल की झेलीं, उतनी आलोचना शायद ही किसी और राजनीतिक दल ने की हो। लेकिन अब खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख टीवी राजेश्वर की मानें तो संघ ने भी आपातकाल का समर्थन किया था और उस वक्त के संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी से संपर्क साधने की भी कोशिश की थी।
आजादी विशेष / दलितों के लिए कानून हैं, अमल नहीं

आजादी विशेष / दलितों के लिए कानून हैं, अमल नहीं

भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के उत्थान के लिए संविधान में कई अनुच्छेद बड़ी सतर्कता से शामिल किए। इन अनुच्छेदों में समाज में दलितों को समान दर्जा, अस्पृश्यता उन्मूलन और उनके प्रति भेदभाव मिटाने के प्रावधान, सबके लिए मौलिक अधिकारों के प्रावधान, समान न्यायिक सुरक्षा, मताधिकार और शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति में आरक्षण, तरक्की तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व के प्रावधान रखे गए।
“शिक्षक थे इसलिए आईएस ने यातना नहीं सम्मान दिया”

“शिक्षक थे इसलिए आईएस ने यातना नहीं सम्मान दिया”

आईएस के चंगुल से रिहा होकर भारत पहुंचे लक्ष्मीकांत और विजय कुमार ने बताया कि शिक्षक होने के नाते उन्हें प्रताड़ित नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर आप विश्वविद्यालय के शिक्षक हो तो आपने हमारे छात्रों को पढ़ाया होगा, इसलिए हम आपको छोड़ रहे हैं। आप भारत जाकर इस्लाम अपना सकते हैं।
संजीव चतुर्वेदी, अंशु गुप्ता को रैमन मैगसायसाय सम्मान

संजीव चतुर्वेदी, अंशु गुप्ता को रैमन मैगसायसाय सम्मान

संजीव चुतर्वेदी और अंशु गुप्ता को इस साल का रैमन मैगसायसाय सम्मान देने की घोषणा की गई है। संजीव चतुर्वेदी ने एम्स में मु्ख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया। अंशु गुप्ता गूंज संस्था की संस्थापक हैं।
देवी मंदिर की दहलीज पर रोके गए दलित

देवी मंदिर की दहलीज पर रोके गए दलित

छुआछूत उन्मूलन के सारे सरकारी वादे खोखले हो जाते हैं जब खबर आती है कि किसी मंदिर में दलितों को जाने से रोका गया। हिमाचल प्रदेश के जोगिंद्रनगर जिले के गांव घटासणी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां दलितों को जालपा मंदिर में प्रवेश से न केवल रोका गया बल्कि फतवे के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले दलितों को धमकाया भी जा रहा है। हालांकि इस घटना को दबाने के लिए प्रशासन और पुलिस ने ठीक से लीपापोती कर दी है।
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