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Search Result : "नेपाल के प्रधानमंत्री"

मोदी ने नहीं दिखाया साहस

मोदी ने नहीं दिखाया साहस

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाएंगे। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले और उन्हें 14 तारीख़ को शपथ ग्रहण समारोह में आने का न्यौता दिया। मुलाक़ात के बाद सिसौदिया ने बताया कि प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण में नहीं आएंगे।
विश्व कपः क्वालीफाइंग दौर में नेपाल से खेलेगा भारत

विश्व कपः क्वालीफाइंग दौर में नेपाल से खेलेगा भारत

भारत रूस में होने वाले फीफा विश्व कप 2018 के पहले क्वालीफाइंग दौर के मुकाबले में नेपाल से खेलेगा। क्वालीफाइंग दौर के डा आज कुआलालम्पुर स्थित एएफसी मुख्यालय में निकाले गए।
संविधान तलाशता नेपाल

संविधान तलाशता नेपाल

छह साल से ज़्यादा वक़्त बीतने के बाद भी नेपाल में स्थाई संविधान बनने की सूरत नज़र नहीं आ रही है. बाईस जनवरी को संविधान निर्माण की तय समय सीमा के खत्म होने के बाद वहां राजनीतिक संकट और गहरा गया है। इसके दो दिन पहले मतभेद के चलते संसद में मारपीट तक की नौबत आ गई।
2जी पर मौन तोड़ें प्रधानमंत्री - स्वामी

2जी पर मौन तोड़ें प्रधानमंत्री - स्वामी

जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मïण्यम् स्वामी विवादास्पद वन मैन आर्मी यानि एकल व्यक्ति सेना की तरह काम करते हैं। हाल के 2जी घोटाले में आवंटित सभी 122 लाइसेंस रद्द करवा कर स्वामी एक बार फिर चर्चित हो गए हैं।
प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव पर कोयला घोटाले की आंच

प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव पर कोयला घोटाले की आंच

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर भले कानून बदला पर मिश्रा से संबंधित हितों के टकराव का एक नया विवाद आकार लेता दिख रहा है।
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।
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