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Search Result : "न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनागोदर"

नहीं होगा सलमान खान का लाइसेंस जब्त

नहीं होगा सलमान खान का लाइसेंस जब्त

हिट एंड रन मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त नहीं होगाा। वर्ष 2002 के हिट एंड रन मामले में एक सत्र अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस आग्रह को खारिज कर दिया है जिसमें मांग की गई थी कि सलमान को ड्राइविंग लाइसेंस जमा करने का निर्देश दिया जाए।
मदर टेरिसा पर संघ के बयान से बवाल

मदर टेरिसा पर संघ के बयान से बवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार फिर मदर टेरिसा के सेवा भाव को ईसाई धर्म परिवर्तन से जोड़ कर राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मदर टेरिसा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि अगर सेवा के नाम पर धर्मपरिवर्तन किया जाएग, तो सेवा भाव का मान गिर जाता है।
कश्मीर और बिहार पर संघ का संकेत

कश्मीर और बिहार पर संघ का संकेत

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारतीय जनता पार्टी को जम्मू-कश्मीर और बिहार के लिए स्पष्ट रूख रखने को कहा है।
बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

राष्‍ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्‍ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।
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