‘कसाब.गांधी@यरवदा.इन’ संग्रह पंकज सुबीर का तीसरा संग्रह है और अपने पूर्व के दो संग्रहों की ही तरह इसमें भी पंकज सुबीर की कहानियों की विषय वैविध्यता दिखाई देती है। कई कई विषयों को समेटे हुए दस कहानियां हैं। इनमें विषयों में सांप्रदायिकता है, आतंकवाद है, बचपन की फैंटेसी है, मध्यमवर्गीय जीवन है, देह के समीकरण हैं और कुछ रहस्य की कहानियां भी हैं। मतलब यह कि दस कहानियों में लगभग दस अलग-अलग विषयों को समेटने की कोशिश की गई है।
विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास 'कैनवास पर प्रेम ' के नाम ने आकर्षित किया था। नाम से कहानी का जो कुछ अंदाजा होता है वह ठीक-ठीक होते हुए भी उससे बहुत अलग भी है।
दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को टेरी के महानिदेशक आरके पचौरी के उस आग्रह पर सुनवाई 21 मई तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें उन्होंने अपने कार्यालय में प्रवेश की अनुमति मांगी थी।
किताबों की हमारे जीवन में उपस्थिति और उसके महत्व को रेखांकित करते हुए साहित्य अकादेमी ने ‘साहित्य मंच’ के अंतर्गत विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े महत्त्वपूर्ण लोगों ने किताबों से अपने रिश्तों को श्रोताओं से साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसार भारती के सीईओ श्री जवाहर सरकार ने की।
बीसवां देवीशंकर अवस्थी सम्मान युवा आलोचक जीतेंद्र गुप्ता को उनकी पुस्तक ‘भारतीय इतिहासबोध का संघर्ष और हिंदी प्रदेश’ के लिए प्रतिष्ठित लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा 5 अप्रैल 2015 को रवींद्र भवन में साहित्य जगत की जानी-मानी हस्तियों की मौजूदगी में प्रदान किया गया।
बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे से सियासी घमासान में नया मोड़ आ गया है। आज विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन होना था, जिसके जरिये यह तय होना था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। बिहार विधानसभा अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दी गई।
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को राजभवन बुलाकर मुख्यमंत्री बनने का न्योता दिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने से राज्य में कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट पैदा गया है। लोकसभा चुनाव के बाद लगातार कमजोर होती जा रही कांग्रेस का दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐसा हस्र होगा इस बात का अहसास कांग्रेस नेताओँ को भी नहीं था।
बिहार का राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल की भूमिका की आलोचना की है। वह अपने दल-बल के साथ राष्ट्रपति की शरण में जाने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं।