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Search Result : "पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी"

जिसे हनुमान जी बुलाते हैं वही आते हैं

जिसे हनुमान जी बुलाते हैं वही आते हैं

शास्त्रीय गायिकी के सबसे प्रतिष्ठित संकटमोचन हनुमान मंदिर, वाराणासी में पहली बार किसी पाकिस्तानी कलाकार की आवाज गूंजी। भारतीयों के दिलों में बसने वाले यही फनकार गुलाम अली ने ऐसा समा बांधा कि देर शाम से सुबह तक उनके मुरीद मंदिर प्रांगण में उन्हें सुनने के लिए डटे रहे।
रवि मामलाः फिर सीबीआई से अनुरोध करेगी कर्नाटक सरकार

रवि मामलाः फिर सीबीआई से अनुरोध करेगी कर्नाटक सरकार

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी डी के रवि की कथित आत्महत्या के मामले में समयबद्ध जांच के कर्नाटक सरकार के अनुरोध को सीबीआई द्वारा नामंजूर कर दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार जांच एजेंसी से एक बार फिर अनुरोध करेगी कि वह मामले की जांच करे।
पाकिस्तानी उच्चायोग में एक ‘राष्ट्रविरोधी’ शाम

पाकिस्तानी उच्चायोग में एक ‘राष्ट्रविरोधी’ शाम

पाकिस्तान उच्चायोग अब्दुल बसीत ने 23 मार्च को अपने देश के राष्ट्रीय दिवस पर हुर्रियत नेताओं को दावत दी कि मीडिया के एक हिस्से ने इसे द्विपक्षीय वार्ताओं से कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को अलग रखने के भारत-पाक करार का पुन: उल्लंघन बताया। लेकिन सरकारी प्रतिक्रिया को देखें तो असहज होते हुए भी भारत सरकार के लिए यह मसला इतना बड़ा नहीं है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर स्थगित कर दी जाए।
पाकिस्तान की गतिविधियां नीति निर्माताओं के लिए चुनौतीः अमेरिका

पाकिस्तान की गतिविधियां नीति निर्माताओं के लिए चुनौतीः अमेरिका

अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने इराक, सीरिया और उत्तर कोरिया के साथ पाकिस्तान को वैश्विक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में चिह्न‌ित करते हुए कहा है कि ये देश नीति निर्माताओं के सामने सामरिक एवं रणनीतिक चुनौतियां पेश करते हैं।
शाही शादी में पाकिस्तानी बारातियों को वीजा

शाही शादी में पाकिस्तानी बारातियों को वीजा

भारतीय दुल्हन और पाकिस्तानी दूल्हे की शादी बड़े ही धूमधाम से संपन्न हो गई। यह कोई मामूली शादी नहीं थी। दो राजघराने रिश्ते में बंधे। दूल्हे राजा पाकिस्तान के उमरकोट के सोढ़ा राजपूत परिवार के करणी सिंह सोढ़ा दुल्हन कनोता परिवार की पद्ममिनी राठौड़ हैं।
पाकिस्तानी नाव को भारत ने उड़ाया था?

पाकिस्तानी नाव को भारत ने उड़ाया था?

अब शायद सच सामने आए कि 31 दिसंबर की रात को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा पर क्या हुआ था। पाकिस्तान की नाव में सवार अपराधियों या आतंकवादियों ने खुद आग लगा ली या फिर भारत सरकार ने उसे उड़ा दिया, यह फिर एक बड़ा सवाल बन गया है। कोस्ट गार्ड के डेप्टी इंस्पेक्टर जनरल बी.के. लोशाली ने इस सवाल पर केंद्र सरकार बुरी तरह से घिर गई है।
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।
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