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Search Result : "पुस्तक मेला"

दिल्ली में व्यापार मेला शुरू

दिल्ली में व्यापार मेला शुरू

चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अगले दो दशक में इसमें 10 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। राष्ट्रपति ने यहां प्रगति मैदान में 35वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला - 2015 (आईआईटीएफ) का उद्घाटन करते हुए कहा कि घरेलू स्तर पर मेक इन इंडिया अभियान के साथ-साथ विनिर्माण पर जोर दिए जाने की जरूरत है।
एम.एल. फोतेदार की पुस्तक  ‘द चिनार लीव्स’ में क्या‍ है खास

एम.एल. फोतेदार की पुस्तक ‘द चिनार लीव्स’ में क्या‍ है खास

माखनलाल फोतेदार की पुस्तक 'द चिनार लीव्स’ में नेहरु-गांधी परिवार के बारे में कई खुलासे किए है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस असहज महसूस कर रही है। पुस्तक ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। पुस्तक में जो खास बाते हैं प्रस्तुत है उसका प्रमुख अंश:
मामी में होगा मूवी मेला

मामी में होगा मूवी मेला

मुख्यधारा के कलाकारों कंगना रणौत, राजकुमार राव, आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने 17वें जियो मामी मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में शिरकत करते हुए इस आयोजन के प्रति अपना समर्थन जताया। यह आयोजन स्वतंत्र फिल्मकारों को अपना काम दिखाने के लिए मंच उपलब्ध करवाता है।
कुल्लू इतिहास का आइना बनेंगी तीन पुस्तकें

कुल्लू इतिहास का आइना बनेंगी तीन पुस्तकें

कुल्लू के मशहूर अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर तीन पुस्तकें रिलीज की जाएंगी, जिनमें कुल्लू के इतिहास और संस्कृति को दर्ज किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव के उपलक्ष्य पर जिला सांस्कृतिक परिषद कुल्लू इस वर्ष दशहरा उत्सव समिति के सहयोग से तीन विशेष पुस्तकें प्रकाशित करने जा रही है। इन तीन अलग-अलग पुस्तकों में आम पाठकों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों को कुल्लू की देव संस्कृति, देव स्थलों, पर्यटक स्थलों और पारंपरिक पकवानों के अलावा इतिहास के विभिन्न कालखंडों के दौरान कुल्लू जिला का दौरा करने वाले ह्वेन त्सांग, क्रिस्टिना नोबल व अन्य प्रसिद्ध विदेश यात्रियों के यात्रा वृतांत पढ़ने को मिलेंगे।
दिल्ली पुस्तक मेले में दिखेगा कौशल विकास

दिल्ली पुस्तक मेले में दिखेगा कौशल विकास

दिल्ली पुस्तक मेले के 21वें सत्र की थीम कौशल विकास पर आधारित है। भारतीय प्रकाशक संघ और भारतीय व्यापार प्रोत्साहन संघ की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस पुस्तक मेले की थीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए स्किल इंडिया अभियान से प्रेरित है।
आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
आपातकाल की बरसी: दु:स्वप्न से ऐन पहले

आपातकाल की बरसी: दु:स्वप्न से ऐन पहले

वर्ष 1975 की 25 जून को इंदिरा गांधी सरकार ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा की और भारतीय राजनीति के इस काले अध्याय से जुड़ी घटनाओं को तब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस की एमसीडी बीट कवर करने वाली पत्रकार कूमी कपूर ने किताब की शक्‍ल दी है। यहां हम इस पुस्तक के कुछ अंशों को पाठकों के सामने ला रहे हैं जिनमें आपातकाल से ठीक पहले की घटनाओं का जिक्र है।
सिनेमा का इतिहास और वर्तमान

सिनेमा का इतिहास और वर्तमान

हिंदी में सिनेमा के इतिहास पर सबसे नई पुस्तक है - समय, सिनेमा और इतिहास। हिंदी सिनेमा के सौ साल पूरे होने पर जश्न तो कई हुए, अखबारों, पत्रिकाओं में कई अहम विशेषांक भी निकले लेकिन पुस्तक के रूप में बॉलीवुड के इतिहास को नए तरीके से समेटने का काम कम हुआ। कुछ देर से ही सही, लेकिन संजीव श्रीवास्तव की यह पुस्तक इस मायने में काफी सराहनीय है। पुस्तक में शामिल सौ साल से अधिक के हिंदी सिनेमा की बड़ी तस्वीरें, व्यक्ति और समाज की अनुभूति और अभिव्यक्ति की बहुरंगी भाव-भंगिमाओं को विविघता से संजोए हुए हैं। यहां व्यावसायिकता की चकाचौंध है, तो कला की प्रांजलता भी। बाजार के दबाव और समझौते की कहानियां हैं तो प्रतिबद सामाजिक सरोकार के नजीर भी हैं।
पारंपरिक  शरबत मेले में स्वागत है

पारंपरिक शरबत मेले में स्वागत है

दिल्ली की बढ़ती गर्मी में राहत के लिए ठंडा-ठंडा कूल-कूल कुछ चाहिए तो दिल्ली के आइएनए में दिल्ली हाट में आइए। यहां ऐसे कई देशी शर्बत की वैरायटी मौजूद है जिन्हें आप लगभग भूल चुके होंगे।
‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
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