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‘सुमित्रानंदन पंत’ - ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’, छायावादी चतुष्टय के चार स्तंभों में अग्रणी

‘सुमित्रानंदन पंत’ - ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’, छायावादी चतुष्टय के चार स्तंभों में अग्रणी

सुमित्रानंदन पंत’ हिंदी साहित्य में छायावादी चतुष्टय के चार स्तंभों में अग्रणी महाकवि माने गए हैं...
प्रकृति संग पर्यटन की पसंदीदा मंजिल बनेगा यूपी, राज्य में जल्दी ही गठित होगा इको-रूरल टूरिज्म बोर्ड

प्रकृति संग पर्यटन की पसंदीदा मंजिल बनेगा यूपी, राज्य में जल्दी ही गठित होगा इको-रूरल टूरिज्म बोर्ड

लखनऊ। प्राकृतिक खूबसूरती हर किसीको लुभाती है। घने जंगल। इनके बीच से कल-कल करती नदी का बहता हुआ निर्मल...
मदरसों की प्रकृति गोडसे और प्रज्ञा जैसी शख्सियत पैदा करने की नहीं: सपा सांसद आजम खान

मदरसों की प्रकृति गोडसे और प्रज्ञा जैसी शख्सियत पैदा करने की नहीं: सपा सांसद आजम खान

समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और रामपुर से सांसद आजम खान एक बार फिर अपने बयानों की वजह से चर्चा में आ गए...
राजस्थान के थार में प्रकृति बचाने की जिद

राजस्थान के थार में प्रकृति बचाने की जिद

भारत समेत पूरी दुनिया में कुएं, तालाब,बावड़ियां सूख रही हैं,नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल काटे जा रहे हैं और वन्य जीव लुप्त हो रहे हैं। एक ओर प्रकृति बचाने के लिए विश्व स्तर पर सेमिनार आयोजित हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान (थार) के कुछ इलाकों में बिश्नोई समुदाय के लोगों का जीवन प्रकृति को जिंदा रखने की नायाब मिसाल है। कुछ दिन इन लोगों के बीच रहकर करीब से इनकी जिंदगी देखने का मौका मिला।
प्रकृति करगेती की कहानी: ठहरे हुए से लोग

प्रकृति करगेती की कहानी: ठहरे हुए से लोग

प्रकृति करगेती की यह पहली कहानी है। इसी कहानी पर उन्हें प्रतिष्ठित राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान मिला है। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक प्रकृति मुंबई में नेटवर्क 18में प्रोमो प्रोड्यूसर के पद पर काम करती हैं। कहानी लिखने से पहले प्रकृति कविताएं लिखती रही हैं। पहाड़ों के नाम लिखी गई उनकी कविताएं कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
प्रकृति से प्रेरित मंदिरा की साड़ियां

प्रकृति से प्रेरित मंदिरा की साड़ियां

दो साल पहले फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में कदम रख चुकीं मशहूर अभिनेत्री और टीवी प्रस्तोता मंदिरा बेदी ने इस बार अपने ही शहर दिल्ली में सर्दियों के लिए साड़ियों का अपना पहला संग्रह पेश किया है।
प्रकृति के साथ अवसाद की न हो बात

प्रकृति के साथ अवसाद की न हो बात

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो प्राकृतिक माहौल में सैर करने से अवसाद से दूर रहा जा सकता है। जो लोग अवसाद में रहते हैं और शहरी इलाकों या बहुत भीड़ वाली जगह पर रहते हैं या ऐसी ही जगहों पर सैर करते हैं उन्हें सलाह है कि प्रकृति के थोड़ा करीब जाएं।