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Search Result : "प्रफुल्ल गोरादिया"

‘मोदी को हटाना चाहते थे अटल-महाजन’

‘मोदी को हटाना चाहते थे अटल-महाजन’

भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके प्रधानमंत्रित्व काल के कई भाजपा नेता वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के राजनीतिक कॅरिअर को समाप्त करने के पक्षधर थे। इन नेताओं में वाजपेयी कैबिनेट के ताकतवर मंत्री प्रमोद महाजन भी शामिल थे। यह दावा भाजपा के पूर्व सांसद प्रफुल्ल गोरादिया की किताब में किया गया है।
महाराष्ट्र राज्यसभा : गोयल, चिदंबरम निर्विरोध

महाराष्ट्र राज्यसभा : गोयल, चिदंबरम निर्विरोध

इस बार के राज्यसभा चुनाव भी कम दिलचस्प नहीं हो रहे हैं। इस बीच राहत की तरह केंद्रीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल और वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम आज महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए।
हाथ थामते ही मोदी पर भड़के महंत

हाथ थामते ही मोदी पर भड़के महंत

असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ करने वाली असम गण परिषद (अगप) के प्रमुख प्रफुल्ल कुमार महंत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर असम के हितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। गठबंधन में भाजपा द्वारा अगप के लिए कम सीटें छोड़े जाने से भी वे नाराज हैं। अंग्रेजी दैनिक `द इकोनॉमिक टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में महंत ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अभी ततक असम के लिए कुछ भी नहीं कर पाए हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच जमीन हस्तांतरण को लेकर असम में बेहद नाराजगी थी। फिर भी उन्होंने यह संधि की।
असम: भाजपा और असम गण परिषद में तालमेल, साथ लड़ेंगे चुनाव

असम: भाजपा और असम गण परिषद में तालमेल, साथ लड़ेंगे चुनाव

असम में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और असम गण परिषद के बीच गठबंधन हो गया। दोनों ही पार्टियां राज्य में साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इस बात की जानकारी असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असम गण परिषद के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत ने भजपा अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के बाद दी।
प्रफुल्ल बिदवई को आखिरी सलाम

प्रफुल्ल बिदवई को आखिरी सलाम

वरिष्ठ पत्रकार, एक्टिविस्ट, परमाणु मुद्दे पर जनपषधर लेखनी से अलग मुकाम बनाने वाले प्रफुल्ल बिदवई को आज लोदी रोड के विद्युत शवदाहगृह में दी गई भाव-भीनी श्रद्धांजलि
प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
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