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पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा, 19 मई को सभी के नतीजे

पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा, 19 मई को सभी के नतीजे

केंद्रीय चुनाव आयोग ने आज पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों की घोषणा की गई है। चुनाव कार्यक्रम की शुरुआत असम और पश्चिम बंगाल से होगी जबकि समापन केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में होगा।
बंगाल चुनाव: माकपा और कांग्रेस मिलकर लड़ेंगे, घोषणा जल्द संभव

बंगाल चुनाव: माकपा और कांग्रेस मिलकर लड़ेंगे, घोषणा जल्द संभव

कांग्रेस और माकपा को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए अभी गठबंधन की औपचारिक घोषणा करनी बाकी है, लेकिन दोनों दलों का राज्यस्तरीय नेतृत्व स्थानीय स्तर के कार्यक्रमों और विरोध प्रदर्शनों में मिलकर शिरकत करते हुए गठबंधन के मूड में प्रवेश कर चुका नजर आ रहा है।
लोकसभा में चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2016 पेश

लोकसभा में चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2016 पेश

भारत और बांग्लादेश के बीच क्षेत्रों की अदला बदली के बाद पश्चिम बंगाल में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन की पहल और इस क्रम में देश के नागरिक बने लोगों को मतदान का अधिकार प्रदान करने वाला एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इसके तहत दो चुनाव कानूनों में संशोधन किए जाएंगे।
विकास गाथा में वामदलों की भूमिका चुड़ैलों की: मीनाक्षी लेखी

विकास गाथा में वामदलों की भूमिका चुड़ैलों की: मीनाक्षी लेखी

केरल आौर पश्चिम बंगाल में जल्द ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में भाजपा ने आज लोकसभा में वाम दलों को सीधे निशाने पर लेते हुए उन्हें भारतीय विकास गाथा की परी कथा की चुड़ैल बताया।
राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यह दावा कर राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया कि जेएनयू में पिछले दिनों संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में हुए कार्यक्रम को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन मिला था। राजनाथ के बयान के तुरंत बाद विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री जेएनयू परिसर में हुए कार्यक्रम को लेकर किए गए अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें।
धर्म,बीफ या जाति नहीं, विकास होगा बंगाल में हमारा चुनावी मुद्दाः कैलाश विजयवर्गी

धर्म,बीफ या जाति नहीं, विकास होगा बंगाल में हमारा चुनावी मुद्दाः कैलाश विजयवर्गी

भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुके मध्य प्रदेश के कैलाश विजयवर्गीय हरियाणा के बाद पश्चिम बंगाल में जीत की रणनीति बनाने में मशगूल है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पास पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी है। स्वाभाविक ही है कि उनके पास पश्चिम बंगाल से चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार टिकट की आस लगाए उनके पास पहुंचने लगे हैं। पश्चिम बंगाल में उनकी रणनीति पर आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं अंश-
कांग्रेस से गठबंधन के लिए बातचीत को तैयार हुआ वाम मोर्चा

कांग्रेस से गठबंधन के लिए बातचीत को तैयार हुआ वाम मोर्चा

माकपा के नेतृत्व वाला पश्चिम बंगाल का वाम मोर्चा आज औपचारिक रूप से इस बात पर सहमत हो गया कि कांग्रेस यदि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर उनसे संपर्क करती है तो वह उनके साथ इसे लेकर चर्चा करेंगे।
पश्चिम बंगाल में गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेताओं की राय साफ नहीं

पश्चिम बंगाल में गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेताओं की राय साफ नहीं

पश्चिम बंगाल में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर कांग्रेस की स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन की बजाय राज्य कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि वामदलों से गठबंधन हो।
आवरण कथाः उच्च शिक्षा की साख पर खतरा

आवरण कथाः उच्च शिक्षा की साख पर खतरा

हाल ही में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर चिंता प्रकट की मगर साथ ही साथ उन्होंने इस बात पर संतोष भी जताया कि निजी शिक्षा के क्षेत्र में फैलाव से उच्च शिक्षा तक छात्रों की पहुंच बढ़ गई है। आंकड़े दिखाते हैं कि राष्ट्रपति की दोनों ही बातों में दम है। वर्तमान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 60 फीसदी छात्र निजी संस्थानों से हैं। निजी शिक्षा के प्रसार ने ऊंची शिक्षा तक पहुंच को बढ़ा दिया है लेकिन समय-समय पर सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। संसद की एक समिति ने भी उच्च शिक्षा की दशा पर सवाल उठाए हैं और इसे दुरुस्त करने की सिफारिश की है। हालांकि शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2014-15 के बजट में शिक्षा के बजट को 83 हजार करोड़ रुपये से घटाकर 69 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया और इससे अगले साल के बजट में भी इसमें बढ़ोतरी नहीं की गई।
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